चरी, मक्का, बाजरा, मकचरी, लोबिया और ज्वार आदि की बिजाई का समय
उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
1.चारे वाली फसलों-चरी, मक्का, बाजरा, मकचरी, लोबिया और ज्वार आदि की बुवाई मार्च माह मंे कर सकते है। इनकी बुवाई पूर े मार्च माह तक करें।
2.मेंथा की खेती रोपाई विधि से करें। इसके लिए मेंथा की 40-45 दिन की पौध की रोपाई 40 से0मी0 की दूरी पर बने लाईनों में 15-20 से0मी0 की दरूी पर करें।
3.चना एवं मसूर की पत्तियाॅ पीली पड़ कर झड़ने लगें, उस समय कटाई करें। कटाई सुबह के समय हसिया से करें तथा 6-7 दिन धूप में सुखा कर गहाइ एवं ओसाई करें। दोनों को अच्छी तरह सुखा कर भण्डारित करं।े
4.उर्द की बुवाई मार्च के प्रथम पखवाड़े मंे पूरा करे। उर्द की उन्नतशील किस्में नरेन्द्र, उर्द-1, पन्त उर्द 31, पंत उर्द 35 का प्रयोग करे।
5.सरसों वर्गीय फसलों में पत्तियों पर भूरे रंग के गोल छल्लेदार धब्बे दिखाई देने पर मैनकोजेब 1.5 से 2.0 किग्रा0 प्रति ली0 की दर से छिड़काव करे।
6.बसंतकालीन गन्ना की बुवाई 15 मार्च तक पूरा कर लेनी चाहिए।
7.गन्ना बीज हेतु गन्ना के उपरी दो तिहाई भाग का प्रयोग करेंगें। प्रति हैक्टर 3 आँखें वाले 40-50 हजार ट ुकड़े प्रयोग करें। लाईन पूरब-पश्चिम दिशा में 75 से0मी0 की दूरी पर बनाए।
8.गन्ना के बीज का शोधन 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी के घोल में 10-15 मिनट बीज को डुबाए। उर्वरक 120ः60ः40 एन0पी0के0/है0 प्रयोग करें।
9.गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीले रंग के फफोले दिखाई देने पर या पत्तियो पर भूरे धब्बे या नोक से पत्तियो के पीले पड़ कर मरु झाने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करे।
10.गेहॅू मे पीली गेरूई के प्रकोप में पत्तियाँ पीली पड़ जाती है। खेत में पत्तियों को छूने से पीला रंग हाथ में लगे तो रोग के लक्षण दिखाई देते ही प्रोपीकोनाजाल 25 ई0 जो टिल्ट यादि के व्यवसायिक नाम से बाजार में उपलब्ध है के 500 मि0ली0 हैक्टर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।