1.गेहूँ की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा कीड़े एवं अन्य बीमारियों के प्रकोप हो रहा हो तो अनुमोदित कीटनाशियों का प्रयोग करें।
2.सरसों की फसल की कटाई एवं मड़ाई करें।
3.गन्ने में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु वैल्लोर के4 दवा की 2 कि0ग्रा0 मात्रा 750 लीटर पानी मंे घोल बनाकर बुवाई के 3 दिन के अंदर प्रयोग करं।े
4.इस दवा के उपलब्ध न होने पर एैटाजीन की 4 कि0ग्रा0 मात्रा अथवा मैटीब्यूजीन की 2 कि0ग्रा0 मात्रा को 750 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 3 दिन के अंदर प्रयोग करें।
5.गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीले रंग के फफोले दिखाई देने पर या पत्तियो पर भूरे धब्बे या नोक से पत्तियो के पीले पड़कर मुरझाने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करंे।
6.गेहूॅ के उन्नतकृषि यंत्रो की सहायता के खरपतवार का नियत्रण करे।
7.बसंतकालीन गन्ने के लिए 120 कि0ग्रा0 नत्रजन, 60 कि0ग्रा0 फासफोरस तथा 40 कि0ग्रा0 पोटाश का प्रयोग करें। नत्रजन की 1/3 मात्रा तथा फासफोरस व पोटाश की पूर्णमात्रा बुवाई के समय प्रयोग करें।
8.प्रति हैक्टेयर बुवाई के लिए गन्ने के तीन आँख वाले 40-50 हजार टुकड़ों का प्रयोग करें।
9.बसंतकालीन गन्ने की फसल की बुवाई 15 मार्च तक पूर्ण करें।
10.गन्ने की अनुमोदित प्रजातियों का चुनाव अपने क्षेत्र के अन ुसार ही करें।
11.गन्ने के टुकड़ों का बीज शोधन अवश्य करें। शोधन एैगलाल या इमासान 6 के 0.25 प्रतिशत घोलमें 10 मिनट तक डुबाकर करें।
12.ऊँचें पर्वतीय क्षेत्रों में सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए शिमलामिर्च, टमाटर, बैंगन एवं मिर्च बीजों की बुवाई पौधशाला में करें।
13.मार्च के प्रथम पखवाड़े में फ्रासबीन की बुवाई करें।