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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-02-28 11:43:09

उर्द की बुआई और अन्य फसलों में रोग प्रबंधन 

उधम सिंह नगर 

1.उर्द की बुवाई मार्च के प्रथम पखवाड़ े के बीच पूरा करे। उर्द की उन्नतशील किस्में नरन्े द्र, उर्द-1, पन्त उर्द 31, पंत उर्द 35 का प्रयोग करे।

2.सरसों वर्गीय फसलों में पत्तियों पर भूर े रंग के गोल छल्लेदार धब्बे दिखाई द ेने पर मैनकोजेब 1.5 से 2.0 किग्रा0 प्रति ली0 की दर से छिड़काव करे।

3.बसंतकालीन गन्ना की बुवाई 15 मार्च तक पूरा कर लेनी चाहिए।

4.गन्ना बीज हेत ु गन्ना के उपरी दो तिहाई भाग का प्रयोग कर ेंगें। प्रति हैक्टर 3 आँखे ं वाले 40-50 हजार ट ुकड़े प्रयोग करें। लाईन पूरब-पश्चिम दिशा मे ं 75 से0मी0 की द ूरी पर बनाए।

5.गन्ना के बीज का शोधन 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी के घोल में 10-15 मिनट बीज को डुबाए। उर्वरक 120ः60ः40 एन0पी0के0/है0 प्रयोग करें।

6.गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीले र ंग के फफोले दिखाई द ेने पर या पत्तियो पर भूर े धब्बे या नोक से पत्तियो के पीले पड़ कर मरु झाने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करंे।

7.गेहॅू मे पीली गेरूई के प्रकोप में पत्तियाँ पीली पड़ जाती है। खेत में पत्तियों को छूने से पीला रंग हाथ में लगे तो रोग के लक्षण दिखाई देत े ही प्रोपीकोनाजाल 25 ई0 जो टिल्ट यादि के व्यवसायिक नाम से बाजार में उपलब्ध है के 500 मि0ली0 हैक्टर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।