Expert Advisory Details

idea99Pantnagar_logo.jpg
Posted by GB Pant University
Punjab
2018-02-21 12:40:21

फसलों पशुपालन और बागबानी के लिए कृषि सलाह 

उधम सिंह नगर, 20 फरवरी 2018 

फसल प्रबंध 

1.सरसों वर्गीय फसलों में पत्तियों पर भूर े रंग के गोल छल्लेदार धब्बे दिखाई द ेने पर मैनकोजेब 1.5 से 2.0 किग्रा0 प्रति ली0 की दर से छिड़काव करे।

2.चने में फूल आन े से पहल े ही एक हल्की सिंचाई कर ें। फूल आत े समय सिंचाई नहीं करें अन्यथा फूल झड़ने से उपज में भारी कमी आती है।

3.चना तथा मसूर म ें फूल बनत े समय 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का पर्णीय छिड ़काव कर ें। 10-15 दिन बाद दूसरा छिड ़काव करें।

4.चना, मटर, मसूर में फली बेधक कीटों के रोकथाम हेत ु फूल आत े समय कीट का प्रकोप दिखाई्र देते ही मानेाक्रोटोफास 36 एस0एल0 के 1 लीटर/हैक्टर का छिड़काव 500 से 600 लीटर पानी मं े घोल कर छिड़काव करें। 10-12 दिन बाद द ूसरा छिड़काव हेत ु इन्डोक्सार्काव 15.8 ई0सी0 के 400-500 मि0ील0/हैक्टर को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर ें।

5.बसंतकालीन गन्ना की बुवाई 15 मार्च तक पूरा कर लेनी चाहिए।

6.गन्ना बीज हेत ु गन्ना के उपरी दो तिहाई भाग का प्रयोग कर ेंगें। प्रति हैक्टर 3 आँखे ं वाले 40-50 हजार ट ुकड़े प्रयोग करें। लाईन पूरब-पश्चिम दिशा मे ं 75 से0मी0 की द ूरी पर बनाए।

7.गन्ना के बीज का शोधन 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी के घोल में 10-15 मिनट बीज को डुबाए। उर्वरक 120ः60ः40 एन0पी0के0/है0 प्रयोग करें।

8.सूरजमुखी की मार्डन, सूर्या, आदि की बुवाई फरवरी के द ूसरी पखवाड़े में कर ें।

9.जायद मे मक्का हेत ु संकुल प्रजातिया, नवीन, श्वेता, नवजोत, कंचन, सूर्या, गौरव, मीठी मक्का- माधुरी तथा संकर मक्का की गंगा-11 (हरा भुट ्टा हेत ु) की बुवाई फरवरी के दूसरे पखवाड ़े तक अवश्य करें।

10.गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीले र ंग के फफोले दिखाई द ेने पर या पत्तियो पर भूर े धब्बे या नोक से पत्तियो के पीले पड़ कर मरु झाने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करंे।

11.गेहॅू मे पीली गेरूई के प्रकोप में पत्तियाँ पीली पड़ जाती है। खेत में पत्तियों को छूने से पीला रंग हाथ में लगे तो रोग के लक्षण दिखाई देत े ही प्रोपीकोनाजाल 25 ई0 जो टिल्ट यादि के व्यवसायिक नाम से बाजार में उपलब्ध है के 500 मि0ली0 हैक्टर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर ें।

बागबानी की देखभाल

1.आम मे भुनगा कीट, बौर की गुच्छा़-व्याधि एवं खर्रा रोग (पाउडरी मिलड्य)ू की रोकथाम के लिए 1.25 मि0ली0 एग्रोमानार्क  या नुवाकान, 1 ग्राम पोट ेशियम म ेटाबाई सल्फाइट तथा 2 ग्राम सल्फेक्स/लीटर पानी में घोल बनाकर पेड़ो पर छिड़काव करें।

2.गुजिया या करी कीट या मैंगो मिली बग के लिए लगायी गयी पाॅलीथिन पट्टी को किसी साफ कपड़े से साफ करं।े

3.खर्रा रोग का संक्रमण अगर दिखाई पड़े तो निदान हेत ु 0.2 प्रतिशत घुलनशील गंधक (2ग्राम/लीटर) का प्रथम छिड ़काव करें।

4.फरवरी माह म ें बाग की साफ-सफाई करनी चाहिए तथा पाले से बचाव के लिए लगाए गय े पुआल अथवा घास इन्यादि को फरवरी के अन्तिम सप्ताह में निकाल द ेना चाहिए।

5.फल पेड़ों म ें भुनगा कीट के नियंत्रण हेत ु ऐमिडाक्लोरपिड 17.8 एस0एल0 का 0.03 मि0ली0/लीटर की दर से प्रथम छिड ़काव पुष्पगुच्छ की शुरूआत में करें। फल की मटर अवस्था पर थियामैथौक्ज ैम से दूसरा छिड़काव 0.32 ग्राम/लीटर और तीसरा छिड़काव केवल आवश्यकता पड़ने पर दसू रे छिड़काव के 21 दिन बाद एन0एस0के0ई0 5 प्रतिशत का 5 मि0ली0/लीटर की दर स े करें।

6.मटर की पत्तियो पर पील े चकत्ते दिखाई देन े पर प्रोपीकोनाजोल 1 मिली0/ली0 की दर से घोल बनाकर छिड ़काव करे।

7.मटर में पौधों की सूखन े एवं निचली पत्तियां पीले पड़न े की अवस्था में कार्बन्डाजिम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ों की सिंचाई कर ें ।

8.प्याज और लहसुन की पत्तियाॅ उपर से पीली पड़न े पर प्रोपीकोनाजोल या टेबूकोनाजोल का 1 मिली0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव कर े।

9.टमाटर में पीलापन लिए हुए भूर े धब्बे दिखाई देने पर मैन्कोजेब 2.5 से 3.0 ग ्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। 

10.गोभी वर्गीय सब्जियो में पत्ती धब्बा रोग के नियत्रंण हेत ु मैन्कोजेब का 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।

11.पातगोभी एवं फूलगोभी में निराई गुड़ाई करे यूरिया की टाॅप डेªसिंग व खेत में नमी बनाकर रखें।

पशुपालन प्रबंध

1.सरदी से बचाव के लिए पशुघर का प्रबंध ठीक से करें। पशुओं को ठ ंड से बचाव हेत ु सूखी घास, पुवाल जो जानवरों के खाने के उपयोग मं े नहीं आती को बिछावन के रूप मे ं प्रयोग कर ें। खिड़की दरवाजों पर त्रिपाल लगा द ें ताकि ठंडी हवा प्रवेश न कर ें।

2.पशुओं के बैठन े का स्थान समतल होता चाहिए जिससे उनकी उत्पादन क्षमता प्रभावित न हो तथा इस समय नवजात पशुओं के रख-रखाव पर विशेष ध्यान द ें।

3.जानवरों में प्रसव दर को ध्यान में रखत े हुए पशुशाला को अच्छी तरह साफ-सुथरा, सूखा, रोशनीदार, हवादार होना चाहिए। इसके लिए नालियों में तथा आस-पास सूखे चनू े का छिड़काव करं े तथा जानवर के नीचे सूखा चारा बिछा द ें। प्रसव के उपरांत स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। ठ ंड का समय आ गया है अतः ठ ंड से बचाव हेत ु पशुपालक इसकी ओर ध्यान दें।

4.भैंस के 1-4 माह के नवजात बच्चों की आहार नलिका में टाक्सोकैराविटूलरू म (केचुआँ/पटेरा) नामक परजीवी पाए जाते है। इसे पट ेरा रोग भी कहत े है। समय से उपचार न होन े की दशा में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक नवजात की मृत्यु इसी परजीवी के कारण होती है। इस रोग की पहचान - नवजात को बदबूदार दस्त होना और इसका रंग काली मिट ्टी के समान होता है, कब्ज होना, पुनः बदबूदार दस्त होना व इसके साथ केचुआँ या पट ेरा का होना, नवजात द्वारा मिट्टी खाना आदि लक्षणो ं के आधार पर इस रोग की पहचान कर सकते है। रोग की पहचान होत े ही पीपराजीन नामक औषधी का प्रयोग कर सकते हैं।

5.पटेरा रोग से बचाव हेतु प्रसव होने के 10 दिन पष्चात् 10-15सी0सी0 नीम का तले नवजात को पिला दें। तदुपरांत 10 दिन पश्चात ् पुनः 10-15 सी0सी0 नीम का तेल पिला द ें। बथुए का त ेल इसका रामबाण इलाज है।