बागबानी प्रबंधन कार्य पंतनगर विश्विद्यालय की तरफ से
18 December 2017
1.बन्दगोभी, फूलगोभी, मलू ी, षलजम आदि बीजू फसलो मं े निराई गुड़ाई तथा कीट नियत्ऱण्ं ा हेतु रसायनो का छिड़काव करे।
2.आलू म ें पछेती झुलसा रोग हेत ु मौसम अन ुकूल है। अतः किसान भाईयो को सलाह दी जाती है कि मैनकोज ेब 2.5 ग्रा0/ली0 दर से छिड ़काव करें।
3.टमाटर मं े पीलापन लिए हुए भूरे धब्बे दिखाई दने े पर मैन्कोजेब 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
4.मटर में पौधों की सूखन े एवं निचली पत्तियां पीले पड़न े की अवस्था में कार्बन्डाजिम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ों की सिंचाई करें।
5.सिंचित घाटी क्षेत्रो में यदि सब्जी फ्रासबीन कील बुवाई दो माह पूर्व की गई हो तो तैयार फलियो की त ुड़ाई करें।
6.मध्यम पर्वतीय ओला रहित क्षेत्रों में अर्किल मटर की बुवाई करें।
7.गोभी वर्गीय सब्जियो में पत्ती धब्बा रोग के नियत्रंण हेत ु मैन्कोजेब का 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
8.टमाटर क े मुर्झाने की अवस्था मे ट ªाइकोडर्मा हरजियानम या सूडोमोनास फलोरीसेंस का 8 से 10 ग ्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर संक्रमित पौधो व उसके आस पास क पौधो मे छिड़काव करे।
9.सेब की पत्तियों पर यूरिया 5 प्रतिशत का छिड़काव पत्ते झड़न े की अवस्था से एक सप्ताह पूर्व करें।
10.ऊँचाई वाले क्षेत्रों में जंगली खुमानी, आड़ू, महे ल, जंगली नाशपाती, सेब आदि का बीज इकट्ठा करके सुखायें। तद्पश्चात् उचित उपचार के पश्चात ् बोन े की प्रक्रिया शुरू करें।
11.खाद उर्वरक तथा फफूदीनाशक/कीटनाशक दवाईयाँ जो गढ्ढों मे ं भरत े समय मिट ्टी में मिलाई जाती है का प्रबन्ध उचित मात्रा में कर लें।
12.पर्णपाती पौधों में लगाय े जान े वाले पौधों की उत्तम किस्मों का आरक्षण अभी से कर ले अन्यथा बाद में अच्छे पौधें न मिलने पर परेशानी हो सकती है।
13.थाले बनान े का कार्य प्रारम्भ कर ें तथा पेड़ क े तनों पर चूना $ नीला थोथा तथा अलसी के त ेल क्रमशः 30 कि0ग्रा0, 500ग ्रा0 और 500 मि0ली0 को 100 लीटर पानी में घोलकर जमीन से 2.3 फिट तक पुताई का कार्य करें।