Expert Advisory Details

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Posted by जी बी पंत विश्विद्यालय
Punjab
2017-12-11 06:08:23

फसल प्रबंधन के लिए जी बी पंत विश्विद्यालय द्वारा सलाह 10 December 2017 1.जौंे की पछेती दशा मं े बुवाई हेतु संस्तुत किस्मं-े ज्योति, प्रीति, मंजुला, जागृति का चुनाव करें। प्रति हैक्टेयर 100-110 कि0ग्रा0 बीज का उपयोग करें। 18-20 से0मी0 के कतारों में बुवाई करें। बुवाई दिसम्बर के दूसरे पखवाड़े तक अवश्य पूरा कर लं।े 2.समय से बा ेए गए गेह ूँ म ें बुवाई के 20-25 दिन बाद आवश्यकतानुसार प्रथम सिंचाई करें। प ्रथम सि ंचाई के 3-4 दिन बाद जब खेत चलने लायक हो जाए तब बचे हुए नाइट्रोजन की आधी मात्रा का टाॅपड्रेसिंग अपराहन में करना अधिक प्रभावी होता है। 3.गेहूँ में खरपतवार नियत्रं ण हेतु दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होता है। पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 25-30 दिन बाद तथा दूसरी बुवाई के 45-50 दिन बाद करें। इससे खरपतवार ता े नियंत्रण होता ही हैं साथ ही भूमि में सम ुचित हवा के संचार होने से कल्ले अधिक निकलते है। 4.समय से बा ेए गई चनें की फसल में दो बार निराई-गुर्ड़ाइ करें। पहली ब ुवाई के 25-30 दिन बाद तथा दूसरा पहली सिंचाई के बाद बुवाई के 45-50 दिन बाद करें। 5.विलम्ब दशा म ें 15 दिसम्बर तक मसूर की बुवाई पूरी कर लें। बुवाई के 25-30 दिन बाद निराई गु़ड़ाई करें।