Expert Advisory Details

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Posted by GB Pant University
Punjab
2017-12-11 05:59:21

फसल प्रबंधन के लिए जी बी पंत विश्विद्यालय द्वारा सलाह 10 December 2017 1.भावर क्षेत्र में विलम्ब से बुवाई 25 दिसम्बर तक करे। देर मं े बोई जाने वाली प्रजातियाॅ यू0पी0 2425 यू0पी 2328, पी0बी0डब्लू 373, य0ू पी0 2526, य0ू पी0 2565 की बुवाइ्र करे। 2.चैड ़ी पत्ति एवं घास वर्ग के खरपतवार के नियंत्रण हेत ु वेस्टा की 400 ग्रा0 मात्रा का 700 ली0 पानी मे घोल बनाकर 1 हेक्ट ेयर में बुवाई के 30-35 दिन बाद छिड़काव करे। 3.टोटल (या सल्फोसल्फोराॅन एवं मटे सल्फयूराॅन मिथाईल) 40 ग्रा0 मात्रा को 700 ली0 पानी मं े घोलकर बनाकर 25-30 दिन बाद/हेक्टेयर में छिड़काव करे। 4.पाला/कोहरा पड़ने की स्थिति मं े समय-समय पर सिंचाई करें। 5.गेहूँ के बीज का टाइकोडर्मा 5 ग्राम $ सूडोमोनास 5 ग्राम/1 ग्राम बीज की दर से उपचारित कर ें। 6.किसान भाई अपने क्षेत्रों के लिए अनुमोदित प्रजातियों की ही बुवाई करं।े 7.जैविक खेती करने वाले किसान भाई सभी फसलों हेतु ट्राइकोडर्मा हरजियानम $ सोडोमोनास के 5-5 ग्राम/कि0ग्रा0 बीज के हिसाब से बीज उपचार करं।े तथा पोषक तत्वों की पूर्ति वर्मीकम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद एवं ज ैव उर्वरक के द्वारा करें। भूमजनित बीमारियों की रोक-थाम के लिए 250 ग ्राम ट्राइकोडर्मा $ 250 ग्रामसेाडोमोनास जैव अभिक्रता से प्रति क्विंटल की दर से वर्मीकम्पोस्ट एवं गोबर की खाद को उपचारित कर एक सप्ताह के लिए छाया मं े रखें तथा बुवाई से पूर्व खेत में अच्छी प्रकार से मिला दें। 8.दलहनी फसलों मं े खरपतवार नियत्रं ण हेतु अगर मजदूर उपलब्ध हों तो पहली निराई, बुवाई के 20-25 दिन बाद और दसू री 35-40 दिन बाद करें। 9.चनें में सिंचित दशा में फ्लूक्लोरोलिन 1.7 लीटर अथवा टाªईफलूरोलिन शाखनाशी की 1.5 लीटर मात्रा को 800 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई से पूर्व छिड़काव करने से खरपतवारों का नियत्रंण हो जाता है।