उधम सिंह नगर के किसानों के लिए जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी की तरफ से फसल प्रबंध सलाह
1 December 2017
1.समय से बोए गए ग ेहूँ में बुवाई के 20-25 दिन बाद आवश्यकतानुसार प्रथम सिंर्चाइ करें। प्रथम सिंचाई के 3-4 दिन बाद जब खेत चलने लायक हो जाए तब बचे हुए नाइट्रोजन की आधी मात्रा का टाॅपड्रेसिंग अपराहन में करना अधिक प्रभावी होता है।
2.गेहूँ में खरपतवार नियंत्रण हेतु दो निराई-गुर्ड़ाइ पर्याप्त होता है। पहली निर्राइ -गुड़ाई बुवाई के 25-30 दिन बाद तथा दूसरी बुवाई के 45-50 दिन बाद करें। इससे खरपतवार तो नियंत्रण होता ही हैं साथ ही भूमि में समुचित हवा के संचार होने से कल्ल े अधिक निकलते है।
3.सि ंचित दशा में चना की विलम्ब से बुवाई दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लें। उन्नतशील प्रजातियों पूसा-372, उदय तथा पी0जी0186 का चुनाव कर बुवाई 20-25 से0मी0 की दूरी पर बनी लाइनों में करें तथा बीज की बुवाई 6-8से0मी0 की गहराई पर करे।
4.समय से बोए गई चनं े की फसल में दो बार निराई-गुड़ाई करें। पहली बुवाई के 25-30 दिन बाद तथा दूसरा पहली सिंचाई के बाद बुवाई के 45-50 दिन बाद करें।
5.विलम्ब दशा म ें 15 दिसम्बर तक मसूर की बुवाई पूरी कर लें। बुवाई के 25-30 दिन बाद निराई गु़ड़ाई करें।
6.तोरिया की 75प्रतिशत फलियां सुनहर े रंग की हो जाए तब कटाई कर ें। कर्टाइ में देर न करें। अन्यथा दाने झड़ते है।
7.अरहर की कटाई करे।
8.पेड़ी गन्ना के रस में ब्रिक्स की मात्रा जाचते रहें। जब ब्रिक्स की मात्रा 18 प ्रतिशत हो जाय तब नवम्बर माह में मिल से पर्ची आते ही सर्वप्रथम गन्ने की कटाई कर गन्ना मिल में भेजे तथा खाली हुए खेत की तैयारी कर रबी फसलों की समय स े बुवाई करें।