फसल प्रबंध के लिए जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी की तरफ से उधम सिंह नगर के किसानो के लिए कृषि परामर्श
1.सिंचित दशा में चने की सामान्य बुवाई नवम्बर के दूसरे पखवाड़े में पूरी कर लं।े
2.चना की उन्नतशील प्रजातियों -पूसा 256, के0-850, अवरोधी, पंत जी-114, पंत जी-186, पंत काबुली चना-1 आदि की बुवाई सि ंचित दशा में 45 से0मी0 की दूरी पर बन े र्लाइ नो ं मे 6-8 से0मी0 गहराई पर करें। बुवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को बीज जनित रोगो ं से बचाव हेतु सर्वप्रथम 1 ग्राम कार्बेडाजिम तथा 2 ग्राम थायरम के मिश्रण से शोधित करें। इसके उपरान्त राइजोबियम कल्चर एवं फास्फोरस घोलक कल्चर से भी उपचारित करें। बुवाई हेतु बीज दर छोटे एव ं मध्यम आकार के बीज वाली प्रजातियों के 60-80 कि0ग्रा0/है0 तथा मोटे दान े वाली प्रजातियों के लिए बीज दर 80-100 कि0ग्रा0/है0 रखें। बुवाई से पूर्व खेत में 15-20 कि0ग्रा0 नत्रजन, 40-50 कि0ग्रा0 फास्फोरस तथा 20-30 कि0ग्रा0 पोटाश /है0 प्रयोग करें।
3.गेहूँ की बुवाई के समय आ ैसत तापमान 22◦ब् से 23◦ ब् होना चाहिए। इस क्षेत्र मं े यह तापमान 15 नवम्बर के आस-पास आता है। समय से पूर्व बुवाई करने पर बालियाँ छोटी होती है।
4.फसलों की ब ुवाई से पूर्व बीज उपचार अवश्य कर ें।
5.गेहॅू के बीज का उपचार कार्बोक्सिन 2 ग्राम/किग्रा से या टेबूकुनाजोल 1.5 ग ्राम/किग्रा बीज की दर स े करें।
6.दलहनी फसलों ह ेतु थीरम 2 ग्राम $ कार्बन्डाजीन 1 ग्राम/किग्रा बीज तथा तिलहनी फसलों में मैटाल ेक्जिल 6 ग्राम/किग ्रा बीज की दर से उपचारित करें।
7.पेड़ी गन्ना के रस में ब्रिक्स की मात्रा जाचते रहें। जब ब्रिक्स की मात्रा 18 प्रतिशत हो जाय तब नवम्बर माह मं े मिल से पर्ची आते ही सर्वप्रथम गन्ने की कटाई कर गन्ना मिल में भेजे तथा खाली हुए खेत की तैयारी कर रबी फसलों की समय स े बुवाई करें।
8.शरदकालीन गन्ना में बुवाई के 25-30 दिन पर निराई-गुड़ाई करें। आवश्यकतानुसार बुवाई के 30-40 दिन बाद सिंचाई करें।
9.तोरिया, पीली सरसों एवं राई की फसल में सफेद गरूे ई एवं तलु ासिता रोग के लक्षण दिखाई दे ंतो मैनकोजेब अथवा रीडोमिल एम0 जेड दवा की 2.0 कि0ग्रा0 मात्रा को 800 लीटर पानी में घा ेलकर /है0 की दर से छिड़काव करें।