पशुओं को गलघो टू रोग से बचाने के लिए जानवरों को साफ-सुथरे स्थान पर बांधे तथा आस-पास बरसात का पानी इकट्ठा ना होने दें। गलघोटू रोग के लक्षण दिखने पर पीड़ित पशु की नस मंे सफोनामाइडस जैसे सल्फामेथाजाइन या सल्फरडाईमिडेन 150 मिग्रा/किग्रा के हिसाब से तीन दिन तक पशुचिकित्सक की सलाह से दें।
मुर्गी पालन के उत्पादन में अधिक से अधिक लाभ हेतु मुर्गियो का समय से टीकाकरण करवायें।
यदि पशुओं को जुएं या चीचड़ लग गये हो तो उन पर सुमिथियोन 1 प्रतिशत का छिड़काव करें।
पशु को ब्याने के बाद अच्छी तरह से साफ-सफाई करके यूटरोटाने/हरीरा/गाइनोटोन नामक दवा में से किसी एक दवा की 200 मिली मात्रा सुबह शाम तीन दिनों तक गर्भाशय की सफाई हेतु देनी चाहिए।
पशुओं को बारिश का पानी नहीं पिलाना चाहिए।
पशुओ को संक्रामक रोग से बचाने हेतु टीकाकरण करवायंे।
अगस्त महीना गाय/भैंसों की ब्याने का समय होता है अतः प्रसव प्रकोष्ठ को साफ-सुथरा करके इस्तेमाल हेतु तैयार रखें।
प्रसव के तुरन्त बाद नवजात बच्चे की साफ-सफाई कर उसकी नाभी को धागे से बांधकर किसी साफ चाकू या ब्लेड से काटकर उस पर जैन्सन वायलेट पेन्ट अथवा टिंचर आयोडीन लगाना चाहिए।
अचानक तेज घूप व तेज वर्षा से पशुओं को बचायें क्योंकि इसकी वजह से त्वचा में जलन जैसा विकार उत्पन्न हो जाता है।
इस ऋतुओं में कृमियों का प्रकोप बढ़ जाता है और इससे बचने के लिए कृमिनाशक का उपयोग निकटतम पशु चिकित्सक की सहायता से करें।
ज्यादा हरे चारे से घोड़ों में केलिक होने का खतरा रहता है अतः इससे बचें।