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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-08-04 10:33:43

बागबानी के लिए मौसम आधारित कृषि सलाह

उधम सिंह नगर, उत्तराखंड 

मक्का की विलम्ब दशा मे बुवाई अगस्त के प्रथम सप्ताह तक कर सकते हैं। इस समय अल्पकालीन संकुल किस्में-कंचन, गौरव, सूर्या, प्रकाश आदि प्रयोग करें।

गन्ने के जल भराव वाले खेतो मे जल निकास की उचित व्यवस्था करें तथा माह के अंतिम सप्ताह जड़ो पर पर्याप्त मिट्ी चढ़ाये। फसल की बड़वार अच्छी हीेने पर 5 फीट की ऊॅचाई पर बधाई कर लें।

उर्द एवं मूंग की बुवाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े मे करें। उर्द की पंत उर्द-19 एवं पंत उर्द-35, पंत उर्द-31 तथा मॅगू की पंत मूॅग -4 एवं पंत मॅूग-5 का चुनाव करे।

उर्द एवं मूंग के बीज शोधन हेतु 2 ग्राम थीरम तथा 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम का प्रति किलो बीज हेतु प्रयोग करो।

अगस्त के प्रथम पखवाड़े में आम की गुठली बोने का कार्य  जारी रखे। एक वर्ष पुराने बीजू पौधो को कलम बाॅधने से पहले अन्य स्थान पर लगाऐ तथा ग्राफ्टिंग कार्य जारी रखे।

नये बाग लगाऐ।

बागों से वर्षा का पानी निकालने के लिए उचित व्यवस्था करं।े

आम के फले हुए पेड़ो मे 50 ग्राम नाइट्रोजन प्रतिवर्ष प्रति पेड़ आयु के अनुसार दें। इस प्रकार अधिकतम 500 ग्राम नाइटोजन दस वर्ष या इसके पश्चात् अर्थात् 1.1 किग्रा यूरिया प्रति पेड़ के हिसाब से फल तोड़ने के पश्चात् देना आवश्यक होगा।

टमाटर एवं मिर्च की फसल मे जड़ एवं तना संधि सड़न रोग के नियंत्रण हेतु टाईकोडरमा 10 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ो की सिंचाई करें।

कद्दु वर्गीय फसलों की पत्तियो पर पीले-भूरे धब्बे दिखाई पड़ने मेन्कोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 की दर से घोल बनाकर छिड़काव करंे।

मिर्च की फसल में ऊपर से डन्ठल काले पड़कर सूखने की समस्या की निदान हेतु संक्रमित शाखाओं को तोड़कर हटा दें एवं फल सड़न की समस्या हेतु कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

भिण्डी की पछेती फसल मे पत्तियो की शिराये पीली पड़ने पर संक्रमित पौधो को उखाड़ दे तथा रोगवाहक कीटो के नियंत्रण हेतु किसी सर्वांगी कीटनाशी का छिड़काव करे।

टमाटर की फसल मे पत्तियो पर धब्बे पड़ने एवं झुलसने पर मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।

इस माह मंे मिर्च की रोपाई मेंड़ों पर करें, मडे़ों पर इसकी दरूी कतार से कतार 50 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी रखें एवं जल निकास की उचित व्यवस्था करें क्योंकि खेत में 24 घण्टे में पानी रहने से फसल सूख जाती है। 

फूलगोभी की अगेती फसल में जल निकास की व्यवस्था करें तथा निराई-गुड़ाई कर खरपतवार निकाल दें। पौधशाला में गोभी की पौध तैयार हो गई हो तो उनकी रोपाई कतार से कतार 45 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी में करें।