आम के फले हुए पेड़ो मे 50 ग्राम नाइट्रोजन प्रतिवर्ष प्रति पेड़ आयु के अनुसार दें। इस प्रकार अधिकतम 500 ग्राम नाइटोजन दस वर्ष या इसके पश्चात् अर्थात् 1.1 किग्रा यूरिया प्रति पेड़ के हिसाब से फल तोड़ने के पश्चात् देना आवश्यक होगा।
टमाटर एवं मिर्च की फसल मे जड़ एवं तना संधि सड़न रोग के नियंत्रण हेतु टाईकोडरमा 10 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ो की सिंचाई करें।
कद्दु वर्गीय फसलों की पत्तियो पर पीले-भूरे धब्बे दिखाई पड़ने मेन्कोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 की दर से घोल बनाकर छिड़काव करंे।
मिर्च की फसल में ऊपर से डन्ठल काले पड़कर सूखने की समस्या की निदान हेतु संक्रमित शाखाओं को तोड़कर हटा दें एवं फल सड़न की समस्या हेतु कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
भिण्डी की पछेती फसल मे पत्तियो की शिराये पीली पड़ने पर संक्रमित पौधो को उखाड़ दे तथा रोगवाहक कीटो के नियंत्रण हेतु किसी सर्वांगी कीटनाशी का छिड़काव करे।
टमाटर की फसल मे पत्तियो पर धब्बे पड़ने एवं झुलसने पर मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
इस माह मंे मिर्च की रोपाई मेंड़ों पर करें, मडे़ों पर इसकी दरूी कतार से कतार 50 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी रखें एवं जल निकास की उचित व्यवस्था करें क्योंकि खेत में 24 घण्टे में पानी रहने से फसल सूख जाती है।
जिन किसान भाइयों ने भिण्डी का बीज नहीं बोया है वे बीज की बुवाई शीघ्र कर लें तथा पिछले माह में बाेई गयी फसल में निराई-गुड़ाई व जल निकास की व्यवस्था करें।
भिण्डी की वर्षा कालीन प्रजातियां वर्षा उपहार, पंजाब पद्मिनी, पंजाब-7, पंजाब-1, अरका, अनामिका, अभय, परभनी क्रांति आदि जिसमें पीट शिरा रोधक क्षमता पायी जाती है का चुनाव करंे
फूलगोभी की अगेती फसल में जल निकास की व्यवस्था करें तथा निराई-गुड़ाई कर खरपतवार निकाल दें। पौधशाला में गोभी की पौध तैयार हो गई हो तो उनकी रोपाई कतार से कतार 45 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी में करें।