बागबानी फसलों के लिए इस मौसम में ध्यान रखने योग्य बातें
नैनीताल, उत्तराखंड
•टमाटर एवं मिर्च की फसल में जड़ एवं तना संधि सड़न रोग के नियंत्रण हेतु ट्राईकोडरमा 10 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ो की सिंचाई करें।
•मध्यम व ऊॅचे पर्वतीय क्षेत्रो में बन्दगोभी, गाॅठगोभी, ब्रोकली पौध का रोपण करें।
•खीरा एवं चप्पन कद्दू के तैयार फलों को बाजार मे बिक्री करें।
•मिर्च की फसल मेंं ऊपर से डन्ठल काले पड़कर सूखने की समस्या की निदान हेतु संक्रमित शाखाओं को तोड़कर हटा दें एवं फल सड़न की समस्या हेतु कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
•टमाटर की फसल मे पत्तियो पर धब्बे पड़ने एवं झुलसने पर मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
•शिमलामिर्च में फल सड़ने की स्थिति मे मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
•फ्रासबीन की फलिया सड़ने एवं सफेद फफंूदी की बढ़वार दिखाई पड़ने पर कार्बन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
•पर्वतीय क्षेत्रों में असिंचित दशा में मूली, राई, धनियाँ, शलजम एवं पालक की बुवाई करें।
•पर्वतीय क्षेत्रो में टमाटर, बैंगन एवं शिमला मिर्च की फसल में बरसात के दौरान जल निकास की समुचित व्यवस्था रखें तथा समय-समय पर फलों की तुड़ाई करें।
•अत्यधिक वर्षा के कारण फल पौधों के थालों मेंं एकत्रित पानी के निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
•सदाबहार फल पौधों जैसे आम, अमरूद, नींबू, पपीता, लीची आदि फल पौधों को लगायें।
•बागीचों मेंं खरपतवारों के नियंत्रण हेतु निराई-गुड़ाई करें।
•शीतोष्ण फल पौधो के प्रवर्धन हेतु टी बडिंग अथवा चिप बडिंग की प्रक्रिया शुरू करे।
•गुठलीदार फलों मं गमोसिस रोग के नियंत्रण के लिए स्ट्रैप्टोसाईकलिन 0.01/या कापर आक्सीक्लोराइड 0.025े प्रतिशत का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें।
•मध्यम ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों मेंं सेब की देर से पकने वाली फल प्रजातियो के फलों को झड़ने से रोकने के लिए प्लेनोफिक्स नामक दवा का 10 पीपीएम छिड़काव करें।