अगर मानव श्रम की कमी हो तो धान मे खरपतवार नियंत्रण हेतु रोपाई के 2-3 दिन के अंदर ब्यूटाक्लोर 50 ई सी या थायोबेनकार्ब 50 ई सी के 3.0 लीटर/है0 या एनीलोफास 30 ई सी के 1.65 लीटर या प्रेटीलाक्लोर 50 ई सी के 1.50 लीटर का छिड़काव करें। रसायनो के प्रयोग के समय खेत मे पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
जून मे बोई गयी मक्का की फसल मे यथा समय निराई-गुड़ाई बुवाई के 15 तथा 30 दिन पर करंे तथा सिंचाई करें। जब फसल लगभग दो फीट की हो जाय तब नाइटªोजन की टाप ड्रेसिंग करें।
मक्का मे तना बेधक के नियंत्रण हेतु डाई मेथोएट 30 ईसी के 660 मिली दवा का छिड़काव करें।
धान की रोपाई से पूर्व खेत मे सिंचाई के लिए नाली तथा जल निकास की समुचित व्यवस्था करें।
रोपाई के समय खेत मे 1-2 सेमी से ज्यादा पानी नही होना चाहिए।
रोपाई के बाद एक सप्ताह तक कल्ले निकलते समय, फूल खिलते समय तथा दाना भरते समय खेत मे पानी रहना चाहिए।
धान के खेत मे लगाातार पानी भरा रखना आवश्यक नही है। खेत की सतह से पानी अदृश्य होने के एक दिन बाद 5-7 सेमी सिंचाई करनी चाहिए।
लेव लगाने के 10-15 घंटे बाद रोपाई करें।
धान की रोपाई से पहले उसकी जड़ों को कार्बेन्डाजीम 1 ग्राम/लीटर के घोल में आधे घण्टे तक भिगोने के बाद रोपाई करें।
धान की शीघ्र पकने वाली किस्मो की रोपाई जुलाई के तीसरे सप्ताह तक अवश्य पूरा कर ल।े
धान की रोपाई हेतु पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी0 तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी0 रखें तथा एक स्थान पर 2-3 पौधे लगाने चाहिए, रोपाई 2-3 सेमी0 गहराई से ज्यादा नहीं करनी चाहिए। रोपाई से 10 दिन के अन्दर मरे पौधों की जगह फिर से रोपाई करें।