पशुओ को संक्रामक रोग से बचाने हेतु टीकाकरण करवायंें।
नाइट्रटे विषाक्तता होने पर पशु की श्वसन एवं नाड़ी दर बढ़ जाती है एवं संास लनेे मंे कठिनाई, माॅसपेशियांे मंे ऐंठन व कमजोरी आ जाती है। इससे बचाव हेतु मेथिलीन ब्लू के 1 प्रतिशत विलयन की 50-100 मि0ली0 मात्रा सीधे ही नस में देना चाहिए।
सायनाइड ग्रस्त चारा खाए हुए पशु को पानी नही पिलाना चाहिए तथा चारागाहो में चराने ले गये पशुओ को कम बढ़ी हुई ज्वार, बाजरा, चरी की फसल न खाने दे।
छोटे मुर्झाये हुए पीले व सुखकर ऐठे हुए पौधो को चारे के रूप में उपयोग नही करे।
पशुओं को स्वच्छ, ताजा एवं ठंडा जल दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) पिलाना चाहिए। यदि पशु के शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद हो तो उसकी चमड़ी के तापमान एवं मौसम के तापमान में सामंजस्य बना रहता है एवं पशु को लू भी नहीं लगती।