मध्यम उॅचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रो में सेब की अगेती प्रजातियो की तुड़ाई प्रारम्भ करे तथा मण्डियो में भेजे।
गुठलीदार फलांे में गमोसिस रोग के नियंत्रण के लिए स्ट्रप्ै टोसाईकलिन 0.01/या कापर आक्सीक्लोराइड 0.025 प्रतिशत का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें।
मध्यम ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में सेब की देर से पकने वाली फल प्रजातियो के फलों को झड़ने से रोकने के लिए प्लेनोफिक्स नामक दवा का 10 पीपीएम छिड़काव करें।
ऊँचंे पर्वतीय क्षेत्रो में फूलो के पॅखुड़ियो के झड़ने की अवस्था पर स्कैब रोग नियत्रं ण हेतु कार्बन्डाजिम 0.05 प्रतिशत का प्रयोग करे।
मध्यम ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रो में बन्द गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली एवं गांठ गोभी की अल्प अवधि में तैयार होने वाली किस्मांे का चयन कर पौधशाला में बीज बुवाई करें|
मध्यम ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रो में यदि खेतों में पर्याप्त नमी हो तो असिंचित दशा में मूली, राई, धनिया, शलजम, गाजर, पाली आदि की बुवाई करें।
मध्यम ऊचंे पर्वतीय क्षेत्रो में पालीहाउस की फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गडु़ाई, सिंचाई एवं कीट नियंत्रण हेतु रसायन का छिड़काव करें।
मध्यम ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रो में खीरा एव चप्पन कद्दू की खड़ी फसल के निराई-गुड़ाई कर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा फलों को बाजार में बिक्री करें।
घाटी क्षेत्र में आलू,प्याज एवं लहसून की फसल यदि तैयार हो खुदाई करें ।
घाटी क्षेत्र में फ्रासबीन की हरी फलियांे की तुड़ाई करें ।
घाटी क्षेत्र में टमाटर एवं शिमलामिर्च की खड़ी फसल में कीट नियंत्रण हेतु मेलाथियान 15 मिली./10 लीटर पानी मं े घोलकर तथा झुलसा रोग के रोकथाम हेतु मैन्कोजेब 20 ग्राम दवा 10 लीटर पानी में घोलकर दिन के समय छिड़काव करें। ध्यान रहे की धूप पर्याप्त मात्रा में हो।
मध्यम ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रो में आलू की खड़ी फसल में झुलसा रोग नियंत्रण हेतु मैन्कोजेब रसायन का छिड़काव करें।
प्याज मे पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु टब्ेाुकोनाजोल या डिफिनोकोनाजोल या प्रोपीकोनाजोल का 500 मिली0 प्रति है0 की दर से किसी सर्वांगी कीटनाशी एवं स्टीकर के साथ मिलाकर छिड़काव करे।
टमाटर व मिर्च की फसल मे सिकुड़े हुए चित्तकबरे पत्ते दिखाई देने पर ग्रसित पौधो को निकालकर नष्ट करे। तथा रस चसू ने वाले कीड़ो के नियत्रंण हेतु सर्वागीं कीटनाशी का छिड़काव करें। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से बचाव हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 या काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 3.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करे।