1.घाटी क्षे़त्राे मे, र्राइ , मूली, शलजम, फूलगाेभी जैसी बीजू फसलाें में यदि बीज पकने की अवस्था हो तो सिंचाई रोक दें एवं जैसे ही फसल पक जाये कर्टाइ कर दें।
2.टमाटर व मिर्च मे पत्तियो पर धब्बे दिखाई देने पर म ैन्कोजेब 2.5 ग्राम/ली पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
3.मध्यम व उॅचे पर्वतीय क्षेत्रो मे पाॅलीहाउस मे शिमलामिर्च, बैगन की पौध का रोपण करें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
4.प्याज मे पत्ती झ ुलसा रोग के नियंत्रण हेतु टेबुकोनाजोल या डिफिनोकोनाजोल या प्रोपीकोनाजोल का 500 मिली0 प्रति है0 की दर से किसी सर्वांगी कीटनाशी एवं स्टीकर के साथ मिलाकर छिड़काव करे।
5.मिर्च व टमाटर की फसल मे विषाणु जनित रोगो के नियत्रंण हेतु संक्रमित पौधो को निकालकर नष्ट कर दें।
6.टमाटर व मिर्च की फसल मे सिकुड़े हुए चित्तकबरे पत्ते दिखाई देने पर ग्रसित पा ैधो को निकालकर नष्ट करे। तथा रस चूसने वाले कीड़ो के नियत्रंण हेतु सर्वा गीं कीटनाशी का छिड़काव करें। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से बचाव हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 या काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 3.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करे।
7.मध्यम एवं निचले पर्वतीय क्षेत्रों में आड़ू के पर्ण कुंचन रोग की रोक-थाम के लिए कीटनाशक रसायनाें का द्वितीय छिड़काव करें।