Posted by गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी, विशविद्यालय
Punjab
2018-05-24 09:27:55
सूरजमुखी, गन्ना और अन्य अनाज वाली फसलों में रोग प्रबंधन
उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
1.गन्ना मे 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। माह के अंत तक दिये जाने वाले नाइट्रॉजन का प्रयोग करे। प्रत्येक सिंर्चाइ के बाद ओढ आने पर गुड़ाई करना लाभदायक होता है। अगर बेल वाली घास का प्रकोप हो रहा हो तो 2,4-डी का छिडकाव 1.00 किलोग्राम सकि्रय तत्व/है की दर से भूमि पर करे।
2.उर्द , मूंग आैर लोबिया की फसल मे आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। फलियो की तुड़ाई के बाद फसल को खेत में पलट दें ताकि ये खेत मे हरी खाद का काम करें।
3.सूरजमुखी की फसल मे आवश्यकतानुसार हल्की-हल्की सिंचाई करे ताकि पाैधे गिरे नहीं। तोतो से फलो का बचाव करे। बिहार बालदार सूड़ी से सुरक्षा हेतु क्वीनालफास 25 ई सी की 1 लीटर दवा का छिड़काव करें। जैसिड की रोकथाम हेतु मिथाईल-ओ-डिमेटान 25 ई सी की 1.0 लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी मे मिला कर छिड़काव करे।
4.गेहॅू मे अनावृत कण्डुआ से आगामी फसल मे नुकसान न हो, इसके लिए गेहूॅ के बीज को सौर ऊर्जा से उपचारित बीज भण्डारण से पूर्व करे। बीज मे नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। भण्डार गृह को साफ करके फर्श एवं दीवारो पर मैलाथियान 5र्0 इ 0 सी0 के 3 लीटर प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से छिड़काव करे।
5.मई माह मे खेत की मेड़ बन्दी कर जुर्ताइ कर के छोड़ दे। ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत के कीटो एवं बीमारियो के लारवा एवं खरपतवार आदि के बीज नष्ट हो जाते है मेड़ बन्दी से वर्षा जल खेत में ही रहेगा तथा जल बहाव के साथ मिट्टी बहकर बाहर नही जाएगी।
6.लोबिया व फ्रासबीन मे जड़ एवं तना गलन रोग की रोकथाम हेतु कार्बन्डाजिम 1 ग्राम/ली0 पानी की दर से घाेल बनाकर छिड़काव करे।