1.मूली की बुवाई वर्षभर चलती है। य ूरोपियन प्रजातियाें हेतु 6-8 किग्रा बीज तथा एशियन प्रजातियों हेतु 10-12 किग्रा बीज की आवश्यकता हा ेगी।
2.मूली के बीज बोने से पहले खेत में गोबर की खाद (सड़ी हुई) का प्रयोग करें। मृदा जांच के अनुसार उर्व रकों का प्रयोग करें। कतार की दूरी 20-25 सेमी रखें तथा बीज बोने पर अंकुरण होने पर अनावश्यक पौधाें काे उखाड़कर अलगकर पौधों से पौधाे की दूरी 8-10 सेमी सुनिश्चित करें।
3.लहसुन की फसल में निराई गुड़ाई एवं सिचाई करें।
4.पछेती गोभी की पाैध तैयार हो चुकी है ताे उसकी रोपाई इस माह कर सकते है जिसके लिए सामान्य भूमि में 150 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फाॅस्फोरस व 60 किग्रा पोटाश की संस्तुति की जाती है। जिसमे से आधी नत्रजन एवं सम्पूर्ण फाॅस्फाेरस व पाेटाश खेत की अंतिम जुताई के समय डालें।
5.गोंद निकाले की दशा में काॅपर आक्सी क्लाेराइड तथा बुझे हुए चूने का पाैधेां के मुख्य तने पर जहाँ से गाेंद निकल रहा हाें का लेप करें।
6.पत्तियों पर अगर एेन्थ्राक्नोज का प्रकोप हाे तो काॅपर आक्सी क्लोराइड का 2 ग्राम/ली0 के हिसाब से छिड़काव करें।
7.अगर बगीचों की सफाई व जुताई न हुई हो ताे इसे शीघ्रातीशीघ्र पूर्ण करें।
8.स्टैम कैंकर या काई कवक अगर तनों पर दिखें तो काॅपर आक्सीक्लोराइड या बीड़ाें मिक्सर का छिड ़काव करें।
9.जाला कीट का प्रकोप होने की दशा में जाला साफ करने वाले यंत्र से सफाई करें तथा क्लीनालफाॅस 2 मि0ली0/ली0 के हिसाब से छिड़काव करें।