बागबानी फसलों के लिए जी बी पंत यूनिवर्सिटी की तरफ से कृषि सलाह
नैनीताल, उत्तराखंड
1.सेब तथा गुठलीदार फलों में तना विगलन रोग की रोकथाम के लिए प्रभावित सेब तथा गुठलीदार फलों के तनों के चारों तरफ मिट्टी हटाएँ जिससे धूप की किरणें ग्रसित भाग पर पड़े। प्रभावित छाआें को हटाकर इसमें चाैबटिया पेस्ट लगाकर मिट्टी से ढक दें। इसके अलावा 0.3 प्रतिशत काॅपरआॅक्सीक्लोराइड की प्रति पौधा में ड्रैंचिंग करें।
2.सेब की पत्तियों पर यूरिया 5 प्रतिशत का छिड़काव पत्ते झड़ने की अवस्था से एक सप्ताह पूर्व करें।
3.ऊँचाई वाले क्षेत्रों में जंगली ख ुमानी, आड़ू, मेहल, जंगली नाशपाती, सेब आदि का बीज इकट्ठा करके स ुखायें। तद्पश्चात् उचित उपचार के पश्चात् बोने की प्रक्रिया शुरू करें।
4.खाद उर्वरक तथा फफूदीनाशक/कीटनाशक दवाईयाँ जो गढ्ढों में भरते समय मिट्टी में मिलाई जाती है का प्रबन्ध उचित मात्रा में कर लें।
5.पर्णपाती पौधों में लगाये जाने वाले पाैधों की उत्तम किस्माें का आरक्षण अभी से कर ले अन्यथा बाद में अच्छे पाैधें न मिलने पर परेशानी हो सकती है।
6.थाले बनाने का कार्य प्रारम्भ करें तथा पेड़ के तनों पर चूना $ नीला थोथा तथा अलसी के तेल क्रमशः 30 कि0ग्रा0, 500ग्रा0 आैर 500 मि0ली0 को 100 लीटर पानी में घाेलकर जमीन से 2.3 फिट तक पुताई का कार्य करें।
7.मिर्च एवं टमाटर में उपरी पत्तियाॅ सिकुड़ने या चित्तकबरी होने की स्थिति में स ंक्रमित पौधो कों निकालकर नष्ट कर दे तथा रोगवाहक कीटो के नियंत्रण हेतु किसी सर्वांगी कीटनाशी का छिड़काव करे।
8.गोभी वर्गी य सब्जियो में पत्ती धब्बा राेग के नियत्रंण हेतु मैन्काेजेब का 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घाेल बनाकर छिड़काव करे।
9.बीन एवं मटर की फलियो की तुड़ाई करें।
10.स्नाेबाॅल फूलगोभी में यूरिया की आपूर्ति के साथ गुड़ाई करे।
11.बीज उत्पादन हेतु मूली, शलजम, एवं गाजर की जड़ो का चुनाव कर नये खेतो में प्रतिराेपण करे।
12.घाटी क्षेत्रो में लहसुन की बुवाई करे।
13.मध्यम पर्वतीय क्षेत्रों में बैंगन एवं शिमलामिर्च के फलों की तुड़ाई करें तथा रोग युक्त फलो/पŸिायों या पाैंध अवशेषों को खेत से बाहर करें।
14.खाद उर्वरक तथा फफूदीनाशक/कीटनाशक दवाईयाँ जो गढ्ढों में भरते समय मिट्टी में मिलाई जाती है का प्रबन्ध उचित मात्रा में कर लें।