इस महीने पशुओं खासकर भैंसों में प्रसव की दर बढ़ जाती है। अतः जो पशु ज्ञामन है उनको अन्य पशुओ से अलग कर थोड़ी मात्रा में कई बार अतिरिक्त पूरक आहार दें अन्यथा उन्हें आफरा (पेट फूलना) की समस्या हो सकती है।
इस मौसम में भेड़ो को एनटैरोटाक्सीमिया रोग लग जाता है जिसके कारण उनके आतों में सूजन आ जाती है। भेड़ों को इस रोग से बचाने हेतु पशु चिकित्सक की सलाह से टीका लगवाएं।
पशुओं को हरा चारा कम मात्रा में दें तथा हरे चारे में सूखा चारा मिलाकर दंे
पीने का पानी स्वच्छ होना चाहिए तथा गन्दे पानी में परजीवी जनित व फफॅूदी जनित विषाणु की सम्भावना होती है।
नमी की वजह से आहार में फफूॅदी लग जाती है जिससे आहार में पोषक तत्व की कमी हो जान े से अपलाटॉक्सीकोशिश नामक बीमारी हो जाती है। इससे मुर्गियों के पेट में कीड़े पड़ने से अण्डा देने की क्षमता घट जाती है ऐसी मुर्गियों को पशु चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा महीने में एक बार अवश्य दें।
पशुओं का आवास सूखा होना चाहिए इसके लिए समय-समय पर चूने का छिड़काव करें।
पशु को ब्याने के बाद अच्छी तरह से साफ-सफाई करके निकटतम पशु चिकित्सक की सलाह से यूटरोटोन/हरीरा/गाइनोटोन नामक दवा मंे से किसी एक दवा की 200 मिली मात्रा सुबह शाम तीन दिनों तक गर्भाशय की सफाई हेतु देनी चाहिए।
प्रसव के तुरन्त बाद नवजात बच्चे की साफ-सफाई कर उसकी नाभी को धागे से बांधकर किसी साफ चाकू या ब्लेड से काटकर उस पर जैन्सन वायलेट पेन्ट अथवा टिंचर आयोडीन लगाना चाहिए।