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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-09-24 11:37:03

धान में, जीवाणुज पर्ण अंगमारी हेतु ऐसे करें बचाव

21 से 25 सितम्बर 

उधम सिंह नगर, उत्तराखंड 

उर्द एवं मूंग मंे पीला चित्तवर्ण रोग के प्रकोप में पत्तियॉ पीली पड़ने लगती है। यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। इसके नियंत्रण हेतु कीटनाशी डाइमिथोएट 30 ई0सी या मिथाइल-ओ-डिमेटान 25ई0सी0 के 1 लीटर/है0 की दर से 500-600 लीटर पानी में मिलाकर 2-3 छिड़काव 10-12 दिन के अंतराल पर करें।

धान में भूरा पर्णधब्बा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब का 2.5 ग्राम/लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

धान में, जीवाणुज पर्ण अंगमारी हेतु खेत मे खड़े पानी को निकाल दंे तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15 ग्राम तथा कॉपर आक्सीक्लोराइड 500 ग्राम के मिश्रण को 500 लीटर पानी मे घोल बनाकर /है0 की दर से छिड़काव करें।

अगर मक्का की खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरीफॉस 20 ई0सी0 के 5 लीटर/है0 मात्रा को 25-30 किग्रा सूखे बालू में मिलाकर, उचित नमी पर सांयकाल मंे बुरकाव करना चाहिए।

इस समय धान में बाली बनने या बाली निकलने की अवस्था मंे है और धान की यह अवस्था पानी की कमी के प्रति अति संवेदनशील है तथा इससे बालियों के आकार एवं दानों की संख्या एवं बीज भार में कमी आती है। अतः खेत में पर्याप्त नमी बनायंे रखें एवं खेत से पानी अदृश्य होने के एक दो दिन बाद पुनः सिंचाई करें।

मक्का की फसल मे पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

मक्का में पर्णच्छद अंगमारी के नियंत्रण हेतु निचली पत्तियो को हटा दें तथा प्रोपीकोनाजोल 1 मिली/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।