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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-10-11 07:27:48

अरहर की फसल में फाइटोप्थोरा तना झुलसा रोग के बचाव के लिए करें यह उपाय

उधम सिंह नगर, उत्तराखंड  

अरहर की फसल मंे फाइटोप्थोरा तना झुलसा रोग के नियत्रं ण हेतु, मैनकोजेब 2.5 ग्राम/ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

धान में भूरा पर्णधब्बा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब का 2.5 ग्राम/लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

अक्टूबर के प्रथम पखवाडे में राई एवं पीली सरसो की बुवाई करें। बिनोय प्रजातियों की बुवाई अक्टूबर माह तक कर सकते है। एकल फसल हेतु बीज दर 4 किग ्रा/है0 तथा बुवाई 30 सेमी की दूरी की पंक्तियों में 3-4 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए।

राई की उन्नतशाील प्रजातियों - वरूणा, रोहणी, कृष्णा, कान्ति, वरदान, वैभव, बसंती, नरेंद्र, अगेती राई-4, उर्वषी में से एक का चुनाव करं।े पीली सरसों की उन्नतशील प्रजातियों -रागिनी, विनोय (बी-9), पंत पीली सरसों-1 में से एक का चुनाव करें।

मक्का में जब भुट्टों के ऊपरी आवरण पीले पड़ने लगंे तब भुट्टों की तुड़ाई करं।े इसके उपरांत हरे पौधों को पशुओं हेतु चारे के रूप में प्रयोग करें।

शरदकालीन गन्ने की बुवाई 15 अक्टबू र तक पूर्ण कर लें।

धान की शीघ्र एवं मघ्यम अवधि वाली किस्मों में बालियों के सुनहरें रंग प्राप्त होने की अवस्था में कटाई करें। कटाई में विलम्ब होने पर फसल के गिरने व बालियों मंे दाना झड़ने का अंदेशा रहता है।

धान की फसल की कटाई से 10-15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर दें। इससे कटाई के समय दानों में नमी की मात्रा करीब 20 प्रतिशत हो जाती है तथा करीब 10-15 से0मी0 सिंचाई की बचत होती है और फसल 2-3 दिन पहले ही कटाई योग्य हो जाती है।