अरहर की फसल में फाइटोप्थोरा तना झुलसा रोग के बचाव के लिए करें यह उपाय
उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
अरहर की फसल मंे फाइटोप्थोरा तना झुलसा रोग के नियत्रं ण हेतु, मैनकोजेब 2.5 ग्राम/ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
धान में भूरा पर्णधब्बा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब का 2.5 ग्राम/लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
अक्टूबर के प्रथम पखवाडे में राई एवं पीली सरसो की बुवाई करें। बिनोय प्रजातियों की बुवाई अक्टूबर माह तक कर सकते है। एकल फसल हेतु बीज दर 4 किग ्रा/है0 तथा बुवाई 30 सेमी की दूरी की पंक्तियों में 3-4 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए।
राई की उन्नतशाील प्रजातियों - वरूणा, रोहणी, कृष्णा, कान्ति, वरदान, वैभव, बसंती, नरेंद्र, अगेती राई-4, उर्वषी में से एक का चुनाव करं।े पीली सरसों की उन्नतशील प्रजातियों -रागिनी, विनोय (बी-9), पंत पीली सरसों-1 में से एक का चुनाव करें।
मक्का में जब भुट्टों के ऊपरी आवरण पीले पड़ने लगंे तब भुट्टों की तुड़ाई करं।े इसके उपरांत हरे पौधों को पशुओं हेतु चारे के रूप में प्रयोग करें।
शरदकालीन गन्ने की बुवाई 15 अक्टबू र तक पूर्ण कर लें।
धान की शीघ्र एवं मघ्यम अवधि वाली किस्मों में बालियों के सुनहरें रंग प्राप्त होने की अवस्था में कटाई करें। कटाई में विलम्ब होने पर फसल के गिरने व बालियों मंे दाना झड़ने का अंदेशा रहता है।
धान की फसल की कटाई से 10-15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर दें। इससे कटाई के समय दानों में नमी की मात्रा करीब 20 प्रतिशत हो जाती है तथा करीब 10-15 से0मी0 सिंचाई की बचत होती है और फसल 2-3 दिन पहले ही कटाई योग्य हो जाती है।