घाटी क्षेत्रो में, घरेलू खपत के लिए सिंचित दशा में बन्दगोभी एवं फूलगोभी स्नोबाॅल समूह का प्रतिरोपण करें।
घाटी क्षेत्रो में, यदि बरसात समाप्ति पर है तथा खेत में पानी नही रुकता हो तीे प्रथम सप्ताह में अर्किल मटर की बुवाई करें।
ऊॅचे पर्वतीय क्षेत्रो में मटर की अर्किल प्रजाति की बुवाई करें।
फ्रासबीन एवं लोबिया में सफेद सड़न की रोकथाम हेतु कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर का छिड़काव करे।
टमाटर एवं मिर्च की फसल मे जड़ एवं तना संधि सड़न रोग के नियत्रं ण हेतु ट्राईकोडरमा 10 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ो की सिंचाई करें।
मिर्च की फसल में ऊपर से डन्ठल काले पड़कर सूखने की समस्या की निदान हेतु संक्रमित शाखाओं को तोड़कर हटा दें एवं फल सड़न की समस्या हेतु कार्बेन्डाजिम का 0.1 प्रतिशत की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
टमाटर की फसल मे पत्तियो पर धब्बे पड़ने एवं झुलसने पर मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
शिमलामिर्च मे फल सड़ने की स्थिति मे मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
फ्रासबीन की फलिया सड़ने एवं सफेद फफंूदी की बढ़वार दिखाई पड़ने पर कार्बन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
अत्यधिक वर्षा के कारण फल पौधों के थालों में एकत्रित पानी के निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
सदाबहार फल पौधों जैसे आम, अमरूद, नींबू, पपीता, लीची आदि फल पौधों को लगायें।
बागीचों में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु निराई-गुड़ाई करें।
गुठलीदार फलों मंे गमोसिस रोग के नियंत्रण के लिए स्ट्रैप्टोसाईकलिन 0.01/या कापर आक्सीक्लोराइड 0.025 प्रतिशत का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें।