Expert Advisory Details

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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-11-23 04:56:02

फसलों के लिए जी बी पंत यूनिवर्सिटी की तरफ से कृषि सलाह

नैनीताल, उत्तराखंड 

1.गेहूँ की बुवाई करें। फसलों की बुवाई से पूर्व बीज उपचार अवश्य करें।

2.गेहूँ के बीज का टाइकोडर्मा 5 ग्राम $ सूडोमा ेनास 5 ग्राम/1 ग्राम बीज की दर से उपचारित करें। 

3.लूज स्मट प्रभावित क्षेत्रों में बीज का उपचार कार्बन्डाजिम काबेक्सिन या टैवूक्लाजोन 2डी एस का 2.5 ग्राम/कि0ग्रा0 की दर से करें।

4.दलहनी फसलों हेतु थीरम 2 ग्राम $ कार्बन्डाजीन 1 ग्राम/किग्रा बीज तथा तिलहनी फसलों में मैटालेक्जिल 6 ग्राम/किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।

5.गेहूँ एवं जौ की बुवाई के तुरंत बाद या 3 दिन के अंदर उचित नमी की अवस्था में पेन्डीमेथिलीन 30 ईसी की 2.5 से 3.3 लीटर मात्रा को 750 लीटर पानी में घोल बनाकर अथवा बुवाई के 30-35 दिन बाद वैस्टा शाखनाशी की 400 ग्राम दवा को 500 लीटर पानी में घाेल बनाकर छिड़काव करें। जिससे एक वर्षीय घासकुल एवं कुछ चैड़ी पत्ति वाले खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सके।

6.किसान भाई अपने क्षेत्रों के लिए अनुमोदित प्रजातियों की ही बुवाई करें।

7.जैविक खेती करने वाले किसान भाई सभी फसलों हेतु ट्राइकोडर्मा हरजियानम $ सोडोमोनास के 5-5 ग्राम/कि0ग्रा0 बीज के हिसाब से बीज उपचार करें। तथा पाेषक तत्वों की पूर्ति  वर्मी कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद एवं जैव उर्वरक के द्वारा करें। भूमजनित बीमारियों की रोक-थाम के लिए 250ग्राम ट्राइकोडर्मा  $ 250 ग्राम सेाडोमोनास जैव अभिक्रता से प्रति क्विंटल की दर से वर्मीकम्पोस्ट एवं गोबर की खाद को उपचारित कर एक सप्ताह के लिए छाया में रखें तथा बुवाई से पूर्व  खेत में अच्छी प्रकार से मिला दें।

8.दलहनी फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेतु अगर मजदूर उपलब्ध हों ताे पहली निराई, बुवाई के 20-25 दिन बाद आैर दूसरी 35-40 दिन बाद करें।

9.चनें में सिंचित दशा में फ्लूक्लोरोलिन 1.7 लीटर अथवा टाªईफलूराेलिन शाखनाशी की 1.5 लीटर मात्रा काे 800 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई से पूर्व छिड़काव करने से खरपतवाराें का नियंत्रण हो जाता है।