इस समय धान में बाली बनने या बाली निकलने की अवस्था मंे है और धान की यह अवस्था पानी की कमी के प्रति अति संवेदनशील है तथा इससे बालियों के आकार एवं दानों की संख्या एवं बीज भार में कमी आती है। अतः खेत में पर्याप्त नमी बनायंे रखें एवं खेत से पानी अदृश्य होने के एक दो दिन बाद पुनः सिंचाई करें।
मक्का की फसल मे पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
मक्का में पर्णच्छद अंगमारी के नियंत्रण हेतु निचली पत्तियो को हटा दें तथा प्रोपीकोनाजोल 1 मिली/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
धान में, जीवाणुज पर्ण अंगमारी हेतु खेत मे खड़े पानी को निकाल दंे तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15 ग्राम तथा काॅपर आक्सीक्लोराइड 500 ग्राम के मिश्रण को 500 लीटर पानी मे घोल बनाकर /है0 की दर से छिड़काव करें।
गन्ने मे अगोला ब ेधक कीट के नियंत्रण हेतु क्लोरान्टोनिलिप्रोल 18.5 एस0 सी0 के 375 मिली दवा को 1000 लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें।
गन्ने मे काला बग का प्रकोप हो तो फेन्थेएट 50 ई0सी0 के 1 लीटर/है0 या क्य ूनालफास 25 ई0सी0 के 2 लीटर को 500 लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें।
धान की पŸिायों पर हिस्पा कीट का भी प्रकोप दिखने पर, जहाँ कहीं इनका प्रकोप दिखाई दे वहाँ टाइएजोफॅास 40 ईसी, 750 मि0ली0 या मोनोक्रोटोफाॅस 36 एसएल 1400 मि0ली0 प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
नत्रजन की आधी बची मात्रा का यूिरया के रुप में टाप ड्रेसिंग दो बार में कल्ला फूटते समय रोपाई के 20 दिन बाद तथा बाली बनने की प्रारम्भिक अवस्था यानि रोपाई के 40-50 दिन पर प्रयोग करें। नाइटोजन के टाॅप ड्रेसिंग के समय खेत मे पर्याप्त नमी होना चाहिए तथा पत्तों पर वर्षा की बूंदे न हो।
मक्का की फसल मे दो निराई गुड़ाई बुवाई के 20 तथा 35 दिन पर करें।