घाटी क्षेत्रो में, घरेलू खपत के लिए सिंचित दशा में बन्दगोभी एवं फूलगोभी स्नोबाॅल समूह का प्रतिरोपण करें
नैनीताल, उत्तराखंड
ऊँचें पर्वतीय क्षेत्रों मंे सब्जी मटर की फसल या तो फूल आने की अवस्था में हेागी या लगभग फूल आ चुकें होंगे, में गुड़ाई के पश्चात् दो पंक्तियों के बीच में पड़ी खाली जगह मंे नमी संरक्षण हेतु एक से दो से0मी0 मोटी पलवार पदार्थ की परत बना लंे इससे न केवल सब्जियाँ अच्छी गुणवत्ता वाली होंगी अपितु उत्पादन मंे भी 20-40 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसी तरह की तकनीक को मूली, गाजर एवं शलजम सब्जियों में भी अपनाएँ।
तैयार खेतों में तथा पाॅलीहाउस के भीतर लगी सब्जी राई की पौंध प्रतिरोपण हेतु तैयार है तो अपराहन के समय 50 ग 40 से0मी0 की दूरी पर प्रतिरोपण करें।
मध्यम व ऊॅचें पर्वतीय क्षे़त्रों में, मटर, मूली, बन्दगोभी, फूलगोभी फसलो में गुड़ाई के पश्चात् पलवार का प्रयोग करें ताकि नमी संरक्षण हो सके।
घाटी क्षेत्रो में, घरेलू खपत के लिए सिंचित दशा में बन्दगोभी एवं फूलगोभी स्नोबाॅल समूह का प्रतिरोपण करें।
घाटी क्षेत्रो में, यदि बरसात समाप्ति पर है तथा खेत में पानी नही रुकता हो तो प्रथम सप्ताह में अर्किल मटर की बुवाई करें।
टमाटर एवं मिर्च की फसल मे जड़ एवं तना संधि सड़न रोग के नियत्रं ण हेतु ट्राईकोडरमा 10 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ो की सिंचाई करें।
शीतोष्ण फल वृक्षों के थालो की सफाई करना प्रारम्भ करंे तथा नये बगीचे लगाने के लिए खाके का कार्य प्रारम्भ करें।
सेब, नाशपाती, आडू, प्लम इत्यादि फल वृक्षों की गिरी पत्तियों को इकट्ठा करके गढ्ढे मे डाले तथा बीमार एवं रोगग्रसित पत्तियों को जलाकर नष्ट कर दें।