
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बुलेटिन, उधम सिंह नगर

मौसम पूर्वानुमानः
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा संचालित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के अन्तगर्त राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केन्द्र, भारत मौसम विज्ञान विभाग, मौसम भवन, नई दिल्ली द्वारा पूर्वानुमानित तथा मौसम केन्द्र, देहरादून द्वारा संसोधित पूवा र्नुमानित मध्यम अवधि मौसम आंकड़ों के आधार पर कृषि मौसम विज्ञान विभाग में स्थित कृषि मौसम विज्ञान प्रक्षेत्र इकाई (AMFU) गो0 ब0 पन्त कृषि एवं प्रौद्यो0 विश्वविद्यालय, पन्तनगर द्वारा उधम सिंह नगर जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में अगले पाँच दिनों में निम्न मौसम रहने की संभावना व्यक्त की जाती है:-
पूर्वानुमानित मौसम तत्व |
मौसम पूर्वानुमान - नैनीताल |
||||
23.01.2019 |
24.01.2019 |
25.01.2019 |
26.01.2019 |
27.01.2019 |
|
वर्षा (मिमी0) |
25 |
5 |
0 |
2 |
0 |
बादल |
घने बादल |
घने बादल |
आंशिक बादल |
घने बादल |
बादल |
अधिक्तर तापमान (डिग्री से.ग्रे) |
21 |
21 |
22 |
21 |
21 |
न्यूनतम तापमान (डिग्री से.ग्रे) |
12 |
8 |
7 |
8 |
8 |
अधिक्तम सापेक्षित आद्रता (प्रतिशत) |
95 |
90 |
85 |
90 |
90 |
न्यूनतम सापेक्षित |
55 |
50 |
45 |
50 |
50 |
हवा की औसत गति(कि0मी0 |
012 |
006 |
006 |
006 |
006 |
हवा की दिशा |
पूर्व-दक्षिण-पूर्व |
पूर्व-दक्षिण-पूर्व |
उत्तर पूर्व |
उत्तर पूर्व |
पूर्व-उत्तर-पूर्व |
भारत मौसम विज्ञान विभाग के नैनीताल स्थित मौसम विज्ञान वेधशाला (समुद्रतल से ऊँचाई-2084 मीटर) के प्रेक्षणानुसार विगत सात दिनों (15-21 जनवरी 2019) में आसमान में आंशिक से मध्यम बादल छाए रहे तथा 0.0 मि.मी. वर्षा हुई| अधिकतम तापमान 18.5 से 23.5 डि0से0 एवं न्यूनतम तापमान 3.9 से 8.1 डि0से0 के बीच रहा तथा वायु में सुबह 07.12 बजे सापेक्षित आर्द्रता 90 से 97 प्रतिशत व दोपहर 1412 बजे सापेक्षित आर्द्रता 38 से 62 प्रतिशत एवं मुख्यतः पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा से चली। ऐसे अनुमानित मौसम में गो0ब0 पन्त कृषि एवं प्रौद्यो0 विश्वविद्यालय, पन्तनगर के वैज्ञानिकों द्वारा इस क्षेत्र के कृषक भाइयों को सलाह दी जाती है कि इस मौसम में विभिन्न फसलों के लिए खेतों में निम्नानुसार कार्यक्रम अपनायें।
कृषि मौसम परामर्ष
फसल प्रबन्ध:
- चना व मसूर की फसल मे फूल बनते समय 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का पर्णीय छिड़काव करे। प्रथम छिड़काव के 10-15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करे। प्रति हैक्टर 600-700 लीटर पानी का प्रयोग करे।
- गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीला रतवा रोग का प्रकोप दिखाई पड़ने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- तोरिया की जब 75 प्रतिशत फलियाजब सुनहरे रंग की हो जाय तब कटाई करे। कटाई में विलम्ब से बीजो के झड़ने का अंदेशा रहता है।
- अगर गेहूं में केवल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का ही बहुलता हो तो नवम्बर में बोई गई गेहूं की फसल में 30-40 दिन बाद तथा दिसम्बर में बोई समय में बुवाई के 40-45 दिन बाद 2,4 डी0 के 500 ग्रा0 सक्रिय अवयव या मैटसल्फूरान मिथाइल के 4 ग्रा0 या कारफेप्ट्राजान के 20 ग्रा0 का 500-600 ली0 पानी में घोल कर फलैट - फेननोजन द्वारा छिड़काव प्रति हैक्टेयर की दर से करे।
- अगर सकरी पत्ती वाले खरपतवारो की बहुलता हो तो गेहूं की फसल में बुवाई के 30-35 दिन बाद फिनोक्साडेन 40-45 ग्र0 या सल्फोसल्फूरॉन के 25 ग्रा0 या क्लाडिनाफाप के 60 ग्र0 या फिनोक्साप्राप इथाइल के 100-120/हैक्टेयर का छिड़काव करें।
- अगर चौड़ी पत्ती वाले एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारो का मिश्रित प्रकोप हो तो गेहूं की फसल में सल्फोसल्फयूरॉऩ मेटसल्फयूरॉन के 32 ग्रा0 का छिड़काव 500-600 ली0 पानी में घोलकर बुवाई से 25-30 दिन में करे।
- फिनोक्साप्राप तथा क्लोडीनाफांप के साथ 2-4 डी या मेट सल्फ्यूरॉन मिथाइल को साथ नहीं मिलाया जा सकता है। इनके छिड़काव में कम से कम एक सप्ताह का अंतर होना चाहिए।
- जनवरी माह में गेहूँ की बुवाई न करें क्योंकि जनवरी माह में गेहूँ की बुवाई करने पर 60-65 कि0ग्रा0/है0/दिन की दर से कमी आती है तथा फसल पकने के समय गम र् हवा चलने से गेहूँ के दाने बहुत ही पतले हो जाते है।
- मैंथा की अगेती बुवाई करे।
- मैंथा की उन्नतशील किस्मों- कोशी, सक्षम, कुशल, हिमालय, सरयू सिम क्रान्ति आदि का चुनाव करें।
- बुवाई से पूर्व मैंथा की जड़ो को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी में तैयार घोल में 5 मिनट तक डुबाए। इसके बाद जड़ों को घोल से निकाल कर इसे आधा घंटा तक छाया में सुखाए। इसके उपरान्त ही बुवाई करें।
- खेत में 25-30 टन सड़ी गोबर का खाद खेत मे बुवाई से 10-15 दिन पूर्व मिलाए। बुवाई के समय 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 60 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम जिक सल्फेट प्रति हैक्टेयर प्रयोग करें।
- खेत में खड़ी नौलख गन्ने में पाले से बचाव हेतु आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
- अगेती नौलख गन्ने की फसल की कटाई इस समय कम तापमान पर नहीं करें अन्यथा पेड़ी हेतु गन्ने का फुटाव कम होगा।
उद्यान प्रबन्धः
- करी कीट के नियंत्रण हेतु पालीथीन स्ट्रिप का प्रयोग करें ताकि इन कीटों को पौधों के ऊपर चढ़ने से रोका जा सके। इसके लिए 25 से 30 सेमी चौड़ी पालीथीन लेकर पौधो के मुख्य तना पर जमीन की सतह से लगभग 30-40 सेमी ऊपर पौधों के तनों के चारों ओर से लपेट दें। लपेटने के उपरान्त पालीथीन की निचली तथा ऊपरी सतह पर ग्रीस या खराब तेल का प्रयोग करते हुए पालीथीन के दोनों शिरों को रस्सी से बांध दें।
- मटर में पौधों की सूखने एवं निचली पत्तियां पीले पड़ने की अवस्था में कार्बन्डाजिम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ों की सिंचाई करें ।
- टमाटर में फल बेधक का प्रकोप होने पर, क्लोरान्ट्रानिलिप्रोले 18.5 एस0सी0, 150मि0ली0/है0 के छिड़काव के तीन दिन बाद या इन्डोक्साकार्ज 14.5 एस0सी0, 500मि0ली0/है0 की दर से छिड़काव के पाँच दिन बाद ही फल का उपयोग करें।
- टमाटर की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप होने पर सायान्ट्रानिलीप्रोले 10.26 ओ0डी0, 900 मि0ली0/है0 या थियामेथोक्जाम 25 डब्लू0एस0जी0, 200 ग्राम/है0 की दर से छिड़काव के पाँच दिन बाद ही फल को खाने हेतु प्रयोग करें।
- मटर के तने या फलियो पर सफेद रूई जैसी बढ़वार दिखाई देने पर सक्रंमित पौधो को निकालकर नष्ट कर दें तथा कार्बन्डाजिम 1 ग्रा0 प्रति ली0 दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- मटर के निचली पत्तियों के पीले धब्बे दिखाई देने पर, मैंकोजेब 2.5 ग्राम प्रति ली0 या साइमोकजेनिल 8 प्रतिशत मैंकोजेब 64 प्रतिशत के मिश्रण को 2.5 ग्राम प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- प्याज और लहसुन की पत्तिया उपर से पीली पड़ने पर प ्रोपीकोनाजोल या टेबूकोनाजोल का 1 मिली0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
- आलू एवं टमाटर की फसल में पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से बचाव हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करे।
- टमाटर में पीलापन लिए हुए भूरे धब्बे दिखाई देने पर मैन्कोजेब 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- गोभी वर्गीय सब्जियो में पत्ती धब्बा रोग के नियत्रंण हेतु मैन्कोजेब का 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
- पातगोभी एवं फूलगोभी में निराई गुड़ाई करे यूरिया की टॉप ड्रेसिंग व खेत में नमी बनाकर रखें।
पशुपालन प्रबन्धः
- इस बदलते मौसममें नवजात पशुओं में निमोनिया की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए पशुओं की आवास व्यवस्था को सुदृढ़ करें व आहार में गर्म चीजें दें।
- पटेरा रोग से बचाव हेतु प्रसव होने के 10 दिन पश्चात् 10-15 सी0सी0 नीम का तेल नवजात को पिला दें। तदुपरांत 10 दिन पश्चात् पुनः 10-15 सी0सी0 नीम का तेल पिला दें। बथ ुए का तेल इसका रामबाण इलाज है।
- पशुओं को हरा चारा में सूखा चारा अवश्य मिलाकर दें। अन्यथा आफरा (टिम्पेती) हो सकती है व पनीले दस्त हो सकते है, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो सकती है।
- सरदी से बचाव के लिए पशुघर का प्रबंध ठीक से करें।
- पशुओं के बैठने का स्थान समतल होता चाहिए जिससे उनकी उत्पादन क्षमता प्रभावित न हो तथा इस समय नवजात पशुओं के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दें।
- पशुओं को ठंड से बचाव हेतु सूखी घास, पुवाल जो जानवरों के खाने के उपयोग में नहीं आती को बिछावन के रूप में प्रयोग करें।
- खिड़की दरवाजों पर त्रिपाल लगा दें ताकि ठंडी हवा प्रवेश न करें।
- ठंड में पशुओं के आहार में तेल और गुड़ की मात्रा बढ़ा दें। अधिक ठंड की स्थिति में पशुओं को अजवाइन और गुड़ दें।
- पहाड़ी क्षेत्रों में पशुशाला में गर्मी हेतु हीटर का उपयोग करें। तथा अंगेठी का उपयोग धुंआँ निकलने के बाद कर सकते हैं।
- मुर्गियों के आवास के तापमान का अनुरक्षण करें।
- पशुओं को धान की कन्नी आहार के रूप में दें। जिससें उन्हें उर्जा और गर्मी मिलती है।
डा0 आर0 के0 सिंह
प्राध्यापक एवं प्रिंसिपल नोडल अधिकारी
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा,
गो.ब. पन्त कृषि एवं प्रौद्यो. विष्वविद्यालय, पन्तनगर
Expert Communities
We do not share your personal details with anyone
Sign In
Registering to this website, you accept our Terms of Use and our Privacy Policy.
Sign Up
Registering to this website, you accept our Terms of Use and our Privacy Policy.