गोभी की फसल पर पत्ती चसू ने वाले कीटों से ऐसे करें बचाव
उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
इस माह की दूसरे, तीसरे सप्ताह तक पछेती गोभी की रोपाई भी की जा सकती हॅै। इसमें 150 कि0ग्रा0 नत्रजन, 80 कि0ग्रा0 फास्फोरस, 60 कि0ग्रा0 पोटाश उर्वरक की आवश्यकता है। जिसमंे से आधी मात्रा नत्रजन व सम्पूर्ण फाॅस्फोरस खेत की अंतिम जुताई के समय डालें व बची हुई नत्रजन को पौध रोपण के 30-35 दिन बाद व 60-65 दिन बाद करें। पौध रोपण की दूरी 60 से0मी0 कतार से कतार और 50 से0मी0 पौध से पौध रखें।
जिन किसान भाईयों के खेत में गोभी के अगेती फसल के फल तैयार हो चुके हैं उन्हें काटकर बाजार भेजंे तथा मध्यकालीन गोभी की पौध की रोपाई जो पिछले माह की है उसमंे यूरिया की टाॅप ड्रेसिंग करं।े साथ ही निराई गुड़ाई एवं सिंचाई की व्यवस्था करें।
यदि गोभी की फसल पर पत्ती चसूने वाले कीटों (माहूं एवं सफेद मक्खी) का प्रकोप हो तो इसके बचाव हेतु कीटनाशी दवा मैटासिस्टाॅक्स 0.1 प्रतिशत अथवा एमिडाक्लोरपिड 0.1 प्रतिशत सांद्रता का घोल बनाकर छिड़काव करें। तथा घोल के साथ सैंडोविट या साबुन का चरूा अवश्य मिलाएँ।
टमाटर की फसल के लिए पौधशाला का निर्माण कर शीत ऋतु हेतु बीज की बुवाई करें। सामान्य प्रजातियों हेतु 500 ग्राम/है0 व संकर प्रजातियों हेतु 200 से 250 ग्राम/है0 बीज की आवश्यकता है।
टमाटर एवं मिर्च की फसल मे जड़ एवं तना संधि सड़न रोग के नियंत्रण हेतु टाईकोडरमा 10 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ो की सिंचाई करें।
बगीचें में शाँख गाँठ का प्रकोप होने पर क्यूनौलफाॅस 2 मि0ली0/लीटर के हिसाब से प्रयोग करें।
बाग की जुताई तथा सफाई करवायें तथा खरपतवार का पूरी तरह नियंत्रण करें।
आम में नियमित फलन हेतु पैक्लोब्यूट्राजाॅल का प्रयोग करें। 1मि0ली0 सक्रिय घटक का प्रति मीटर छत्र फैलाव के हिसाब से डालें।