खरपतवार के नियंत्रण हेतु बुवाई के 20-25 दिन बाद करें ये कार्य
नैनीताल, उत्तराखंड
1.लोबिया की फसलों में पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 2.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
2.मध्यम पर्वतीय क्षेत्रों में, मार्च-अप्रैल में सॅवा (मादिरा/झंगुरा) की प्रजातियों जैसे वी0एल0 मादिरा-172, वी0एल0 मादिरा-207 तथा पी0आर0जे01 की बुवाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25से0मी0 एवं पौधे से पौधे की दूरी 10से0मी0 पर करें। जिसमंे 8-10कि0ग्रा0/है0 बीज उपयुक्त होगा। नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश का 40ः20ः20 के अनुपात में प्रयोग करें। जिसमें नत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा का बुवाई के साथ प्रयोग करें। नत्रजन की शेष बची आधी मात्रा बुवाई के एक महीने बाद टॅप ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें।
3.झंगुरे की बुवाई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट उपलब्ध हो तो 100 क्विंटल/है0 या 2 क्विंटल प्रति नाली की दर से खेत में अच्छी तरह मिला दें। यदि कम्पोस्ट उपलब्ध न हो तो वर्मीकम्पोस्ट 50 क्विंटल/है0 या 1 क्विंटल प्रति नाली की दर से प्रयोग करें।
4.खरपतवार के नियंत्रण हेतु बुवाई के 20-25 दिन बाद 650ग्राम 2,4 डी0 सोडियम साल्ट 500लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
5.सावा के बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/कि0ग्रा0 बीज की दर से बुवाई से पूर्व उपचारित करें।
6.गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीले रंग के फफोले दिखाई देने पर या पत्तियो पर भूरे धब्बे या नोक से पत्तियो के पीले पड़कर मुरझाने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करंे।