

झंगुरे की बुवाई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट उपलब्ध हो, पढ़ें और जानकारी
नैनीताल, उत्तराखंड
1.गेहूँ की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा कीड़े एवं अन्य बीमारियों के प्रकोप हो रहा हो तो अनुमोदित कीटनाशियों का प्रयोग करें।
2.मध्यम पर्वतीय क्षेत्रों में, मार्च-अप्रैल में साॅवा (मादिरा/झंगुरा) की प्रजातियों जैसे वी0एल0 मादिरा-172, वी0एल0 मादिरा-207 तथा पी0आर0जे01 की बुवाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25से0मी0 एवं पौधे से पौधे की दूरी 10से0मी0 पर करें। जिसमें 8-10कि0ग्रा0/है0 बीज उपयुक्त होगा। नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश् का 40ः20ः20 के अन ुपात में प्रयोग करें। जिसमें नत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा का बुवाई के साथ प्रयोग करें। नत्रजन की शेष बची आधी मात्रा बुवाई के एक महीने बाद टाॅप ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें।
3.झंगुरे की बुवाई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट उपलब्ध हो तो 100 क्विंटल/है0 या 2 क्विंटल प्रति नाली की दर से खेत में अच्छी तरह मिला दें। यदि कम्पोस्ट उपलब्ध न हो तो वर्मीकम्पोस्ट 50 क्विंटल/है0 या 1 क्विंटल प्रति नाली की दर से प्रयोग करें।
4.खरपतवार के नियंत्रण हेतु बुवाई के 20-25 दिन बाद 650ग्राम 2,4 डी0 सोडियम साल्ट 500लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
5.सावा के बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/कि0ग्रा0 बीज की दर से बुवाई से पूर्व उपचारित करें।
6.तराई क्षेत्रों मंे जहां तोरिया और सरसों की कटाई हो गयी हो तो उसमें गन्ने की बुवाई करें।
7.गन्ने के टुकड़ों का बीज शोधन अवश्य करें। शोधन एैगलाल या इमासान 6 के 0.25 प्रतिशत घोलमें 10 मिनट तक डुबाकर करें अथवा कार्बेन्डाजिम 15 डब्लू0पी0 के 0.1 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक डुबाकर करें।
8.बसंतकालीन गन्ने की शीघ्र पकने वाली अनुमोदित प्रजातियों जैसे को0श0-8436, को0श0 88230, को0श0 96268, को0पंत 94211, को0जे0 85, को0 98014, को0श0 9525, को0श0 95436 का चुनाव अपने क्षेत्र के अनुसार बुवाई के समय करें।
9.गन्ने की मध्यम एवं देर से पकने वाली प्रजातियों हेत ु को0पंत 94222, को0श0 8432, को0पंत 84212, को0श0 11767, को0पंत 96219, को0पंत 90223, को0श0 97264, को0श0 96275, को0श0 99259, को0श0 96269 आदि प्रजातियों का चुनाव करें।
10.प्रति हैक्टेयर बुवाई के लिए गन्ने के तीन आँख वाले 40-50 हजार टुकड़ों का प्रयोग करें।
11.बसंतकालीन गन्ने के लिए 120 कि0ग्रा0 नत्रजन, 60 कि0ग्रा0 फासफोरस तथा 40 कि0ग्रा0 पोटाश का प्रयोग करें। नत्रजन की 1/3 मात्रा तथा फासफोरस व पोटाश की पूर्णमात्रा बुवाई के समय प्रयोग करें।
12.गन्ने में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु वैल्लोर के4 दवा की 2 कि0ग्रा0 मात्रा 750 लीटर पानी मंे घोल बनाकर बुवाई के 3 दिन के अंदर या 15 दिन के बांद प्रयोग करें।
13.इस दवा के उपलब्ध न होने पर एैटाजीन की 4 कि0ग्रा0 मात्रा अथवा मैटीब्यूजीन की 2 कि0ग्रा0 मात्रा को 750 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 3 दिन के अंदर प्रयोग करें।
14.गेहूँ की फसल मे निचली पत्तियो पर पीले रंग के फफोले दिखाई द ेने पर या पत्तियो पर भूरे धब्बे या नोक से पत्तियो के पीले पड़कर मुरझाने पर प्रोपीकोनाजोल 25 ई0 सी0 का 1 लीटर/हैक्टेयर की दर से छिड़काव करंे।
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