प्याज और लहसुन की पत्तियाॅ उपर से पीली पड़ने पर, ऐसे करें रोकथाम
नैनीताल, उत्तराखंड
1.घाटी क्षेत्रों में प्रथम सप्ताह के दौरान कुफरी ज्योति आलू की बुवाई करें। यदि बुवाई फरवरी माह में की गयी हो तथा आलू जम गया हो तो मट्टी चढ़वा दें तथा आवश्यकतान ुसार सिंचाई करें।
2.मार्च के प्रथम पखवाड़े में फ्रासबीन की किस्मों की बुवाई करें।
3.ऊँचें पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ पर बर्फ पिघल रही है नत्रजन खाद की प्रथम आधी मात्रा शीतोष्ण फल वृक्षो के थालों में प्रयोग करें।
4.शीतोष्ण फल प्रजातियों के फल के बगीचों में फूल आने पर परागण हेतु मधुमक्खियों के बक्सों को लगभग 2-3/है0 की दर से रखें।
5.बीजू आलू कन्दों की सफाई कर मैन्कोजेब रसायन के 0.25 प्रतिशत के घोल में आधे घंटे तक उपचारण कर छाया में सुखायें तथा मार्च में बुवाई हेतु बीज सुरक्षित रखें।
6.मटर में पौधों की सूखने एवं निचली पत्तियां पीले पड़ने की अवस्था में कार्बन्डाजिम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ों की सिंचाई करें ।
7.प्याज और लहसुन की पत्तियाॅ उपर से पीली पड़ने पर प्रोपीकोनाजोल या टेबूकोनाजोल का 1 मिली0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
8.टमाटर में पीलापन लिए हुए भूरे धब्बे दिखाई देने पर मैन्कोजेब 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
9.गोभी वर्गीय सब्जियो में पत्ती धब्बा रोग के नियत्रंण हेतु मैन्कोजेब का 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।