1.सरदी से बचाव के लिए पशुघर का प्रबंध ठीक से करें।
2.पशुओं के बैठने का स्थान समतल होता चाहिए जिससे उनकी उत्पादन क्षमता प्रभावित न हो तथा इस समय नवजात पशुओं के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दें।
3.पशुआंे को ठंड से बचाव हेतु सूखी घास, पुवाल जो जानवरांे के खाने के उपयोग मंे नहीं आती को बिछावन के रूप मं े प्रयोग करंे। खिड़की दरवाजों पर त्रिपाल लगा दें ताकि ठंडी हवा प्रवेश न करें।
4.ठंड मंे पशुओं के आहार मंे तले और गुड़ की मात्रा बढ़ा दंे। अधिक ठंड की स्थिति मंे पशुआंे को अजवाइन और गुड़ दंे।
5.पहाड़ी क्षेत्रांे मंे पशुशाला मंे गर्मी हेतु हीटर का उपयोग करंे। तथा अंगेठी का उपयोग धुंआँ निकलने के बाद कर सकत े हंै।
6.मुर्गियों के आवास के तापमान का अनुरक्षण करें।
7.पशुओं को धान की कन्नी आहार के रूप में दें। जिससें उन्हें उर्जा और गर्मी मिलती है।
8.इस बदलते मौसम मंे नवजात पशुओं मंे निमोनिया की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए पशुआंे की आवास व्यवस्था को सुदृढ ़ करंे व आहार में गर्म चीजें दें।
9.जानवरों में प्रसव दर को ध्यान में रखते हुए पशुशाला को अच्छी तरह साफ-सुथरा, सूखा, रोशनीदार, हवादार होना चाहिए। इसके लिए नालियांे मंे तथा आस-पास सूखे चूने का छिड़काव करंे तथा जानवर के नीचे सूखा चारा बिछा दंे। प्रसव के उपरांत स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। ठंड का समय आ गया है अतः ठंड से बचाव हेतु पशुपालक इसकी ओर ध्यान दें।
10.भंैस के 1-4 माह के नवजात बच्चांे की आहार नलिका मंे टाक्सोकैराविटूलरू म (केचुआँ/पटेरा) नामक परजीवी पाए जात े है। इसे पटेरा रोग भी कहत े है। समय से उपचार न होने की दशा मं े लगभग 50 प्रतिशत से अधिक नवजात की मृत्यु इसी परजीवी के कारण होती है। इस रोग की पहचान - नवजात को बदबूदार दस्त होना और इसका रगं काली मिट्टी के समान होता है, कब्ज होना, पुनः बदबूदार दस्त होना व इसके साथ केचुआँ या पटेरा का होना, नवजात द्वारा मिट्टी खाना आदि लक्षणों के आधार पर इस रोग की पहचान कर सकते है। रोग की पहचान होते ही पीपराजीन नामक औषधी का प्रयोग कर सकते हैं।
11.पटेरा रोग से बचाव हेतु प्रसव होने के 10 दिन पश्चात् 10-15 सी0सी0 नीम का तेल नवजात को पिला दें। तदुपरांत 10 दिन पश्चात् पुनः 10-15 सी0सी0 नीम का तेल पिला दें। बथुए का तेल इसका रामबाण इलाज है।
12.पशुओं को हरा चारा में सूखा चारा अवश्य मिलाकर दें। अन्यथा आफरा (टिम्पेती) हो सकती है व पनील े दस्त हो सकते है, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो सकती है।