जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी की तरफ से इस हफ्ते नैनीताल के किसानों के लिए फसल प्रबंध सलाह
4 December 2017
1.गेहूँ की द ेर से बोने वाली प्रजातियो की बुवाई करं।े फसलों की बुवाई से पूर्व बीज उपचार अवश्य करें।
2.गेहूँ के बीज का टाइकोडर्मा 5 ग्राम $ सूडोमोनास 5 ग्राम/1 ग्राम बीज की दर से उपचारित कर ें।
3.लूज स्मट प्रभावित क्षेत्रो ं म ें बीज का उपचार कार्बन्डाजिम काबेक्सिन या टैवूक्लाजोन 2डी एस का 2.5ग्राम/कि0ग्रा0 की दर से करं।े
4.दलहनी फसलों हेत ु थीरम 2 ग्राम $ कार्बन्डाजीन 1 ग ्राम/किग ्रा बीज तथा तिलहनी फसलों म ें मैटालेक्जिल 6 ग्राम/किग ्रा बीज की दर से उपचारित कर ें।
5.किसान भाई अपने क्षेत्रों के लिए अनुमोदित प्रजातियों की ही बुवाई करं।े
6.जैविक खेती करने वाले किसान भाई सभी फसलों हेतु ट्राइकोडर्मा हरजियानम $ सोडोमोनास के 5-5 ग्राम/कि0ग्रा0 बीज के हिसाब से बीज उपचार करं।े तथा पोषक तत्वों की पूर्ति वर्मीकम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद एवं ज ैव उर्वरक के द्वारा करें। भूमजनित बीमारियों की रोक-थाम के लिए 250 ग ्राम ट्राइकोडर्मा $ 250 ग्राम सेाडोमोनास जैव अभिक्रता से प्रति क्विंटल की दर से वर्मीकम्पोस्ट एवं गोबर की खाद को उपचारित कर एक सप्ताह के लिए छाया मं े रखें तथा बुवाई से पूर्व खेत में अच्छी प्रकार से मिला दें।
7.दलहनी फसलों मं े खरपतवार नियत्रं ण हेतु अगर मजदूर उपलब्ध हों तो पहली निराई, बुवाई के 20-25 दिन बाद और दसू री 35-40 दिन बाद करें।
8.चनें में सिंचित दशा में फ्लूक्लोरोलिन 1.7 लीटर अथवा टाªईफलूरोलिन शाखनाशी की 1.5 लीटर मात्रा को 800 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई से पूर्व छिड़काव करने से खरपतवारों का नियत्रं ण हो जाता है।