1.बसन्त ऋतु में यदि गन्ने में चैडी पत्तियो वाले खरपतवार की बहुलता हो तो 2,4 डी0 सोडियम साल्ट का 0.75 से 1किग्रा0 सक्रिय घटक प्रति हेक्टेयर की दर से 750 ली0 पानी में घोल बनाकर 1 हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करे। यदि कृषि श्रमिक उपलब्ध हो तो गन्ने के खेत में गुड़ाई कर एक हफ्ते तक छोड़कर तत्पश्चात सिंचाई करे। पर्याप्त नमी होने पर नाइटोजन का यूरिया के रूप में छिड़काव करे।
2.लोबिया व फ्रासबीन मे पौधे सूखने की स्थिति मे, कार्बन्डाजिम 1 ग्राम/ली0 पानी की दर से प्रयाेग करे।
3.गेहूँ एवं दलहनी फसलाें की कटाई एवं मड ऱ्ाइ का कार्य करें।
4.गेहूँ की मढ़ाई के बाद धान की बुवाई के लिए गहरी जुताई एवं मेड़बन्दी करे।
5.चारा फसलो में सिंचाई के उपरान्त नत्रजन का प्रयोग करे जिससे अत्यधिक चारा प्रयोग किया जा सके।
6.इस समय खाली खेत में गहरी जुताई कर क्षेत्र की मेढ़ बन्दी करे जिससे पानी को संरक्षित किया जा सके।
7.मैदानी क्षेत्रों में, शरद एवं बसंतकालीन गन्ने की सिंचाई, खरपतवार एवं पोषक तत्वो का प्रबन्धन ठीक प ्रकार से करे।
8.मैदानी क्षेत्रों में, बसंतकालीन गन्ने में खरपतवार के नियंत्रण हेतु बुवाई के तीन दिन के अंदर या 15-20 दिन पर 2-3 पत्ति अवस्था में वैलपार के-4 की 2 कि0ग्रा0 मात्रा को 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
9.गन्ने में निराई-गुड़ाई के उपरांत सिंचाई के बाद नत्रजन का प्रयोग करें।
10.बसंतकालीन गन्ने में कल्ले निकलने की अवस्था में गुड ऱ्ाइ करने के एक हफ्ते बाद सिंचाई करें एवं मैटीब्यूजीन/एटाजीन की 2 कि0ग्रा0 मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
11.शरदकालीन गन्ने में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा नत्रजन की बची हुई 1/3 मात्रा का प्रयाेग करें व खरपतवारों का नियंत्रण करें।