आम की फसल में इस मौसम में होने वाली बिमारियों से कैसे करें रोगों से बचाव
1.आम मे बैक्टीरियल कैंकर की संम्भावना होने पर 200 पी पी एम स्टैप्टोसाइकलिन ;200 मिलीग्राम/लीटरद्ध का छिड़काव करें।
2.आम के बाग में डांसी मक्खी के लिए काष्ठ निर्मित यौन गंध ट्रैप काे पेड़ पर लगाना चाहिए (10 ट्रैप/हैे0)। यौन गंध ट्रैप को दो माह में बदल देना चाहिए।
3.कोयलिया और आन्तरिक विगलन के नियंत्रण के लिए 1.0 प्रतिशत (10 ग्रा0/ली0) बोरेक्स का छिड़काव करना चाहिए।
4.आवश्यकतानुसार उचित नमी बनाये रखने हेतु सिंचाई करते रहे।
5.आम की फसल में चूर्णि फॅफूदी की नियत्रंण हेतु कार्बनडाजिम का 0.1 प्रतिशत का घोल का छिड़काव करंे।
6.कद्दू वर्गीय सब्जियाे मे पत्तियो पर अनियमित आकार के चित्तकबरे धब्बे दिर्खाइ देने पर मैनकोजेब 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
7.प्याज मे पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु टेबुकोनाजोल या डिफिनोकोनाजोल या प्रोपीकोनाजोल का 500 मिली0 प्रति है0 की दर से किसी सर्वांगी कीटनाशी का स्टीकर के साथ मिलाकर छिड़काव करे।
8.टमाटर व मिर्च की फसल मे सिकुड़े हुए चित्तकबरे पत्ते दिखाई देने पर ग्रसित पाैधो को निकालकर नष्ट करे। तथा रस चूसने वाले कीड़ो के नियत्रंण हेतु सर्वा गीं कीटनाशी का छिड़काव करें। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से बचाव हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 या काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 3.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करे।