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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-05-10 10:52:02

मौसम के आधार पर फसलों के लिए किये जाने वाले जरूरी कार्य 

उधम सिंह नगर, उत्तराखंड

1.सूरजमुखी की फसल मे आवश्यकतानुसार हल्की-हल्की सिंचाई करे ताकि पौधे गिरे नहीं। तोतो से फलो का बचाव करे। बिहार बालदार सूड़ी से सुरक्षा हेतु क्वीनालफास 25 ई सी की 1 लीटर दवा का छिड़काव करंे। जैसिड की रोकथाम हेतु मिथाईल-ओ-डिमेटान 25 ई सी की 1.0 लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी मे मिला कर छिड़काव करे।

2.गेहॅू मे अनावृत कण्डुआ से आगामी फसल मे नुकसान न हो, इसके लिए गेहूॅ के बीज को सौर ऊर्जा से उपचारित बीज भण्डारण से पूर्व करे। बीज मे नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। भण्डार गृह को साफ करके फर्श एवं दीवारो पर मैलाथियान 50 ई0 सी0 के 3 लीटर प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से छिड़काव करे।

3.मई माह मे खेत की मेड़ बन्दी कर जुताई कर के छोड़ दे। ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत के कीटो एवं बीमारियो के लारवा एवं खरपतवार आदि के बीज नष्ट हो जाते है मेड़ बन्दी से वर्षा जल खेत में ही रहेगा तथा जल बहाव के साथ मिट्टी बहकर बाहर नही जाएगी।

4.अगर सिंचाई की सुविधा है तो गंहेूँ एवं अन्य रबी फसलो की कटाई के बाद खाली खेत में हरी खाद हेतू ढैंचा तथा सनई की बुवाई करें।

5.सनई की नरेन्द्र सनई-1 तथा ढैंचा की पंत ढैंचा-1 हिसार ढैंचा-1 आदि उन्नतशील किस्मो का चुनाव करे। सनई हेतू बीज दर 80-90 किलोग्राम/हेक्टेयर तथा ढैंचा हेतू बीज दर 60-80 किलोग्राम/हेक्टेयर रखें।

6.रबी फसलो की कटाई के बाद खाली खेत से इस मई माह में मृदा नमूना खेत से 10-15 विभिन्न स्थानो से लेना चाहिए। मिट्टी का नमूना 20 सेमी तक की गहराई से लेना चाहिए।

7.धान-गेहूँ फसल चक्र में गेहूँ की कटाई एवं अन्य रबी फसलो की कटाई के बाद हरी खाद हेतु मुख्यतः ढैंचा व सनई की बुवाई 15 मई तक करें।

8.लोबिया व फ्रासबीन मे जड़ एवं तना गलन रोग की रोकथाम हेतु कार्बन्डाजिम 1 ग्राम/ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।