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Posted by GB Pant University
Punjab
2018-05-03 11:39:01

सब्जियों में रोग प्रबंधन 

नैनीताल, उत्तराखंड

1.टमाटर व मिर्च मे पत्तियो पर धब्बे दिखाई दने े पर मैन्कोजेब 2.5 ग्राम/ली पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।

2.मध्यम व उॅचे पर्वतीय क्षेत्रो मे पॉलीहाउस मे शिमलामिर्च, बैगन की पौध का रोपण करें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

3.यदि प्याज व लहसुन की फसल त ैयार हो गयी है तथा इनकी पत्तिया जमीन की सतह पर गिरनी प्रारंभ हो गई हों तो फसल में सिंचाई करना बंद करें तथा आने वाले 15-20 दिनों में फसल की खुदाई करं।े

4.पर्वतीय क्षेत्रों में यदि टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च की पौध का प्रतिरोपण 1 माह पूर्व हो गया हो तो य ूरिया की टॉप डेªसिंग करें साथ ही साथ नमी संरक्षण के उपाय सुनिश्चित करें।

5.मध्यम ऊँचंे पर्वतीय क्षेत्रों में तैयार मटर की फसल की तुड़ाई करे।

6.प्याज मे पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु टब्ेाुकोनाजोल या डिफिनोकोनाजोल या प्रोपीकोनाजोल का 500 मिली0 प्रति है0 की दर से किसी सर्वांगी कीटनाशी एवं स्टीकर के साथ मिलाकर छिड़काव करे।

7.आलू में यूरिया की टॉप डैªसंग कर मिट्टी चढा़ ये तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

8.मिर्च व टमाटर की फसल मे विषाणु जनित रोगो के नियत्रंण हेतु संक्रमित पौधो को निकालकर नष्ट कर दंे।

9.टमाटर व मिर्च की फसल मे सिक ुड़े हुए चित्तकबरे पत्ते दिखाई द ेने पर ग्रसित पौधो को निकालकर नष्ट करे। तथा रस चसू ने वाले कीड़ो के नियत्रंण हेतु सर्वागीं कीटनाशी का छिड़काव करें। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से बचाव हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करे।

10.मध्यम एवं निचले पर्वतीय क्षेत्रों में आड़ू के पर्णकुंचन रोग की रोक-थाम के लिए कीटनाशक रसायनों का द्वितीय छिड़काव करें।