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फसल की गुणवत्ता सुधारने, उपज और आय बढ़ाने के लिए किसानों ने नया तरीका अपनाया है। वे खेती के साथ मधुमक्खी पालन भी कर रहे हैं। इस तरीके को जिले के कई किसानों ने अपनाकर अपनी उपज 20 से 25 फीसदी तक बढ़ाई है। कृषि विभाग की एग्रीकल्चर टेक्निकल मैनेजमेंट एजेंसी (आत्मा) के निर्देशन में देपालपुर और सनावदिया के किसान यह प्रयोग अधिकतर फूल वाली सभी फसलों में कर रहे हैं। वे मधुमक्खी पालन से निकलने वाला शहद बेचकर आय भी बढ़ा रहे हैं।
विभाग के मुताबिक मधुमक्खी पालन के लिए खेत में लकड़ी के बॉक्स रखे जाते हैं। उस स्थान से दो किलोमीटर तक मधुमक्खियां घूमती हैं और फसलों में परागण की क्रिया करती हैं। जितनी अधिक मात्रा में मधुमक्खी होंगी, उतना अधिक फायदा किसान को होता है।
खेत में रखे हैं 50 बॉक्स
ग्राम सनावदिया के किसान रोहन तिलोटिया ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में मधुमक्खी के 50 बॉक्स रखे हैं। 17 एकड़ में अलग-अलग खेती होती है। दो साल से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, जिससे पैदावार भी बढ़ी है। खास तौर पर अरहर, सूरजमुखी, प्याज, लहसुन, आलू, लौकी, कद्दू व अन्य फसलें लगाई हैं। इसमें 25 फीसदी बढ़ोतरी से चार लाख रुपए से अधिक मिले हैं।
शहद से 16000 रुपए कमाए, फसल अलग से
देपालपुर तहसील के ग्राम चितौड़ा के किसान सत्यनारायण पीराजी ने बताया कि वे ढाई एकड़ में खेती करते हैं लेकिन कई कारणों से फसल अच्छी नहीं हो रही थी। आत्मा की सलाह पर मधुमक्खी पालन शुरू किया। चार बॉक्स रखे, जिसमें छह हजार रुपए की सब्सिडी भी मिली। एक बॉक्स से चार किलो शहद निकलता है। उसकी कीमत 500 से 700 रुपए प्रति किलो है। छह महीने में शहद से ही 16 हजार रुपए कमाई हो चुकी है। प्याज की फसल भी अच्छी हो गई।
सब्सिडी भी दी जा रही
अभी देपालपुर क्षेत्र के किसानों ने यह प्रयोग अपनाया है। धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों के किसानों में जागरूकता लाने के प्रयास किए जाएंगे। मधुमक्खी पालन पर सब्सिडी भी दी जा रही है।