नवजात कटड़े/बछड़े की तरफ से आवश्यकतानुसार खीस पीना उनकी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी होता है। क्योंकि उनकी पैदाइश के समय उनमें बीमारी के प्रति लड़ने वाले इम्यूनोग्लोबूलिन नहीं होते और वे उन रोगनाशक अंशों पर निर्भर रहते हैं जो उन्हें खीस से मिलते हैं। खीस से भी नवजात कटड़े और बछड़े को बीमारियों से बचाया जा सकता है।
खीस में पाए जाने वाले जीव प्रतिरोधक पदार्थ बच्चों को बीमारियों से दूर रखते हैं।
खीस देने के तरीके
कुदतरी तौर पर खीस पिलाना — नवजात बच्चे को कुदरती तौर पर खीस पिलाना एक बहुत ही बढ़िया तरीका है। यह बच्चे की पीने की शक्ति और जन्म के समय ताकत पर निर्भर करता है कि वह बढ़िया तरीके से खीस पी सकता है या नहीं। खीस पचाने की क्षमता इस तरीके से सबसे ज्यादा होती है। पर जब नवजात बच्चे की खड़े होने की बहुत ज्यादा प्रतीक्षा की जाती है या उसे बिना किसी सहायता से मां के पास दूध पीने के लिए छोड़ दिया जाता है। तो वह कई बार सही मात्रा में खीस पी नहीं पाता। इसलिए जन्म के बाद जल्दी से जल्दी खीस पीने में बच्चे की सहायता करनी चाहिए।
बनावटी तौर पर खीस पिलाना — जब नवजात बच्चों को खीस बनावटी तौर पर पिलायी जाती है तो उन्हें जल्दी से जल्दी खीस दी जा सकती है क्योंकि खीस में काफी मात्रा में ज़रूरी तत्व होते हैं। इस काम के लिए निप्पल बोतल फीडर या बाल्टी की मदद से सही मात्रा में बच्चे को दी जा सकती है।