Posted by Punjab Agricultural University, Ludhiana
Punjab
2022-01-27 11:29:19
खजूर की अच्छी फसल लेने के लिए परागण और खादों की महत्ता
खजूर की फसल में नर और मादा के फूल अलग-अलग पौधों पर आते हैं, अच्छी फसल लेने के लिए खजूरों का परागण हाथ द्वारा करना बहुत जरुरी है। इसलिए नर और मादा के फूलों की पहचान होनी बहुत जरुरी है। नर के फूल क्रीम सफेद रंग और धान के फूल की तरह होते हैं और मादा के फूल पीले और ज्वार के फूल की तरफ दिखाई देते हैं। नर फूल वाला भाग जिसमें फूल छिपा होता है छोटे, चौड़े और अधिक लड़ी वाले और झाड़ू की तरह होते हैं। मादा फूल में लंबे और कम लड़ी वाले होते हैं। एक नर के पौधे के पोलण से 10 मादा के पौधे परागण किया जा सकता है, इसलिए अच्छा परागण करने के लिए 10 मादा के पौधे पर एक नर का पौधा लगाना चाहिए। इस फसल के फूल मार्च के मध्य से अप्रैल के पहले हफ्ते तक निकलते रहते हैं, यदि उस समय तापमान अधिक हो तो कुछ दिन पहले निकल आते हैं यदि कम हो तो थोड़े दिन लेट आते हैं।
तरीका- नर के पौधे के फूल मादा के पौधे से कुछ दिन (7 से 10 दिन) पहले निकलने लग जाते हैं। पालन इक्क्ठा करने के लिए स्पेथ को खुलने से पहले तोड़ कर छांव में सुखाना चाहिए ताकि पालन आसानी से निकल सके। पालन को निकालने के बाद 6 घंटे धूप में और 18 घंटे छांव में सुखाने के बाद कांच की शीशी में छांव में डालकर रखना चाहिए। पालन को 3 महीने तक कमरे के तापमान पर संभाल कर रख सकते हैं और जब मादा के फूल निकल आएं जो पालन इक्क्ठा किया होता है उसे परागण के लिए प्रयोग करना चाहिए। हाथ दवारा परागण कई तरीके के साथ किया जा सकता है जैसे पोलन के मादा फूलों को नर फूलों पर लगाया या छिड़काव किया जाता है, 3 से 4 नर के फूलों की लड़ी को उल्टा करके मादा फूलों में रखने से परागण किया जा सकता। नर फूल की लड़ी को मादा फूल में रखने से सबसे आसान तरीका है। इनमें से कोई भी तरीके के प्रयोग करके बढ़िया गुणवत्ता वाला फल लिया जा सकता है, मादा के फूल निकलने से 3 से 4 दिनों में अंदर परागण कर देना चाहिए ताकि बढ़िया फल टिक सके। यदि हम परागण नहीं करते तो फल बहुत छोटा, बिना बीज वाला और न पकने वाला बनेगा।
खाद- परागण के इलावा अच्छी गुणवत्ता वाला फल लेने के लिए जैविक और अजैविक खादों का डालना भी बहुत जरुरी है। इसलिए फल देने वाला पौधे को 50kg गोबर की खाद फूल आने से पहले डालें। इसके इलावा 4.4kg यूरिया प्रति पौधा 2 किश्तों में डालना चाहिए। पहली किश्त फूल आने से पहले और दूसरी किश्त फल बनने के बाद डालें।