
किसानों के लिए सब्ज़ियों से संबंधित परामर्श

कोरोना (कोविड़-19) के गंभीर फैलाव को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।
धान- किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों को ना जलाऐ। क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणे फसलों तक कम पहुचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है | जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है | नमी मृदा में संरक्षित रहती है| धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल / हेक्टेयर किया जा सकता है।
- मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि धान की पकने वाली फसल की कटाई से दो सप्ताह पूर्व सिचाई बंद कर दें। फसल कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में सूखाकर गहाई कर लें। उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सूखा लें। अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करें।
सरसों- तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की बुवाई कर सकते है। मिट्टी जांच के बाद यदि गंधक की कमी हो तो 20 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से अंतिम जुताई पर डालें। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में- पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30, पूसा सरसों-31। बीज दर–1.5-2.0 कि.ग्रा. प्रति एकड। बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को अवश्य ज्ञात कर ले ताकि अंकुरण प्रभावित न हो। बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 2.5 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें। बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है। कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सें. मी. और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सें.मी. दूरी पर बनी पंक्तियों में करें। विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सें.मी. कर ले।
मटर- इस मौसम में किसान मटर की बुवाई कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में -पूसा प्रगति। बीजों को कवकनाशी केप्टान @ 2.0 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें।
लहसुन- तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस समय लहसुन की बुवाई कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में –जी-1, जी-41, जी-50, जी-282. खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।
चने-तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान चने की बुवाई इस सप्ताह कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। छोटी एवं मध्यम आकार के दाने वाली किस्मों के लिए 60–80 कि.ग्रा. तथा बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80–100 कि.ग्रा. प्रति है. बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई 30–35 सें. मी. दूर कतारों में करनी चाहिए। प्रमुख काबुली किस्में- पूसा 267, पूसा 1003, पूसा चमत्कार (बी.जी. 1053); देशी किस्में – सी. 235, पूसा 246, पी.बी.जी. 1, पूसा 372। बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम और पी.एस.बी. के टीकों (कल्चर) से अवश्य उपचार करें।
गाजर- इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ो पर कर सकते है। बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा। बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फाँस्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
फूलगोभी- इस मौसम में ब्रोकली, फूलगोभी तथा बन्दगोभी की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है। पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनायें। जिन किसानों की पौधशाला तैयार है वह मौसस को ध्यान में रखते हुये पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें।
टमाटर- मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
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