
आने वाले पांच दिनों के लिए गेहूं, दलहनी, सरसों और चारा से संबंधित परामर्श

अगले पांच दिनों के लिए उक्त जलवायु के हिसाब से कृषि की सलाह दी जाती है। अगले पांच दिनों में हल्की वर्षा की संभावना नहीं है। अधिकतम तापमान 25 से 26 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5 से 6 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। हवाओं की गति 5 किलोमीटर प्रति घंटे की हिसाब से चलेगी। सापेक्षित आद्रता लगभग 20 से 59 के बीच रहेगी। मध्यम बादलों की संभावना है।
उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें, वर्षा की संभावना को देखते हुए तापमान में कमी से पाला पड़ने की संभावना है, फसलों को पाले से बचाएं, फसलों में यूरिया या पोषक तत्व का 2 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें, फलदार और नर्सरी के ऊपर घास के पुआल डालें।
गेहूं- गेहूं की रतुआ संवेदनशील अगेती बुवाई किस्मों में पीला रतुआ बीमारी के लक्षण जैसे गेहूं के पत्तों पर पीले रंग के छोटे-छोटे दाने सीधी धारियों में प्रकट हों व दूसरी ओर पत्तों में पीलापन दिखाई दे तो अनुशंसित रसायनों का छिड़काव करें व 15 दिन के अंतराल पर दोहराएं। गेहूं की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव हेतु किसान भाई क्लोरपायरीफॉस 20 ई सी 2.0 लीटर प्रति एकड़ सिंचाई के साथ दें।
दलहनी- दलहनी फसलों में निराई-गुड़ाई करने का है।प्रदेश के निचले क्षेत्रों में चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंच 3 से 4 प्रपंच प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 20 से 25 प्रतिशत फूल खिल गए है। तथा सुंडियों का फसल पर प्रकट होते ही साइपरमैथरीन 30 मिलीलीटर प्रति 30 लीटर पानी प्रति कनाल का प्रयोग करें। मसुर खरपतवार नियंत्रण करें। चने में झुलसा रोग से बचाव के लिए बीज का डाईथेन M-45 (2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से उपचार करें और मसूर बिजाई वाले खेतों को खरपतवार रहत रखें।
सरसों- सरसों में चेपा तथा पेंटेड बग कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। सरसों में चेपा को काट कर नष्ट करके रोगर या क्विनलफॉस 2.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।किसानों को सापेक्ष आद्रता को ध्यान में रखते हुए सफेद रतुआ पेटेंड/चित्रित बग और एफिड हमले के खिलाफ सरसों की फसल की निगरानी के लिए सलाह दी जाती है, यदि सफेद रतुआ का संक्रमण अधिक है, तो अनुमोदित दवाई का छिड़काव की सलाह दी जाती है।
अनाज भंडारण- भंडारित अनाज की जांच करें तथा कीट नज़र आए तो सल्फास गोलियां 3 गोली प्रति टन अनाज की दर से प्रयोग करें तथा ढाँचे को अच्छी तरह से सील कर दें।
चारा- जई तथा बरसीम की फसलों में खरपतवार नियंत्रण करें।
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