Posted by Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University Pusa, Samastipur, Bihar
Punjab
2021-01-09 12:24:00
आने वाले दिनों के लिए मटर, टमाटर, लहसुन और प्याज से संबंधित परामर्श
मटर- अगात बोई गई मटर की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग की निगरानी करें। इस रोग में पत्तियों, फलों एवं तनों पर सफेद चूर्ण दिखाई पड़ती है। इस रोग से वचाव के लिए फसल में कैराथेन दवाई का 1.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी अथवा सल्फेक्स दवा का ३ गा्रम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। मटर की फसल में अच्छे फलन के लिए 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें।
टमाटर- टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी करे। इस कीट के पिल्लू टमाटर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते है। ये कच्चे तथा पके टमाटरो में छेद करके उनके अंदर घुस कर गुदा खाते है। कीट के मल-मूत्र के कारण फल में सड़न प्रारंभ हो जाती है जिससे उत्पादन में काफी कमी आती है। इस कीट से बचाव हेतु 8-10 फेरोमौन ट्रैप प्रति हेक्टेयर खेत में लगाए। ब्युवेरिया बेसियाना जैविक कीटनाशी का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो इन्डोक्साकार्ब 14.5 SC 1 मिलीलीटर प्रति 2.5 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
लहसुन- लहसुन की फसल में निकौनी एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।झुलसा रोग से बचाव हेतु लहसुन में 2.0 ग्राम Mancozeb फफूंदनाशक दवाई का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। इस घोल में 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से गोंद(स्टीकर) अवश्य मिलाएं। लहसून की फसल में सिंचाई करें। कीट-व्याधि की निगरानी करें।
प्याज- प्याज की रोपाई करें। पौध की रोपाई अधिक गहराई में नहीं करें। पिछले माह रोपी गई प्याज में निकाई-गुड़ाई एवं हल्की सिंचाई करें।