खारे पानी वाली जमीन कैसे दे सकती है अच्छा मुनाफा ?
पंजाब के कुछ इलाकों में पूरा पानी खारा (5 नंबर) है जहां कोई फसल नहीं उगाई जा सकती पर उस जमीन से मुनाफा लेने के लिए आपके पास एक हल है और वो है झींगा मछली पालन का काम.
अब जानेंगे किस तरह का काम है यह ?
यह एक तरह का मछली पालन है, पर यह एक अनोखे तरह का मछली पालन है, सबसे पहले झींगा पालन का शुरू करने के लिए एक एकड़ में 8 लाख रूपए तक का खर्चा आता है। इस काम में बिजली की सप्लाई हर समय चाहिए क्योंकि इस काम के लिए तालाब में ऑक्सीजन के लिए और पानी के बहाव को बदलने के लिए एरिएटर लगाने पड़ते हैं जो की रात को पूरा समय चलने चाहिए। एक एरिएटर में कम से कम 33-34 हज़ार का खर्चा आता है। एक एकड़ में 4 एरिएटर लगते हैं। एरिएटर रात के समय चलते रहने चाहिए। इस में 60% खर्चा फीड का आता है क्योंकि यह फीड 70 से 75 रुपए प्रति किलो मिलती है। इस में फीड और दवाइयों का बहुत खर्चा आता है। बाकी इस काम में रोजाना फीडिंग होती है। झींगा पालन में पानी के पैरामीटर का संतुलन रखना बहुत जरूरी होता है जैसे कि सैलनिटी, पोटैशियम, मैगनीशियम और पी.एच. आदि। यदि पानी के पैरामीटर बिगड़ते हैं तो उनको दवाई डाल कर ठीक करना जरूरी है।
सब्सिडी और मंडीकरण
इस समय 2.5 एकड़ पर 4 लाख की सब्सिडी चल रही है। पंजाब के पांच खारे पानी से प्रभावित इलाके हैं - मुक्तसर, बठिंडा, फाजिल्का, मानसा और फरीदकोट आदि। इन पांच जिलों के अंदर ही सब्सिडी ले सकते हैं। एक एकड़ में 1 लाख 50 हजार पूंग छोड़े जाते हैं। यह आंध्र प्रदेश में से चंडीगढ़ या दिल्ली या हवाई जहाज के माध्यम से आता है। इनकी ब्रीडिंग समुंद्र में की जाती है। यह चार महीनों में तैयार हो जाते हैं, इसकी सबसे छोटी स्थानक मार्किट दिल्ली है। इसके खरीददार आंध्र, मुंबई, और गुजरात से माल खरीदने आते हैं। इसका रेट पीस के हिसाब से तय किया जाता है। यदि एक किलो में 100 पीस है तो इसका 200 रुपए होगा। पर ज्यादतर लोग एक किलो में 40 पीस बेचते हैं। क्योंकि इनका रेट 4०० रुपए है। एक किलो में जितने कम पीस होंगे उसका उतना ही ज्यादा रेट होगा, इसका रेट अब बढ़ता जा रहा है।