इसका उपयोग सभी फसलों पर फल और फूल आने की स्थिति में टॉनिक के रूप में लाभदायक है। दाने, फल, फूल, सब्जियों, फलियों में चमक आने के साथ-साथ आकार, वजन बढ़ता है।
निर्माण सामग्री
• 10 लीटर गोमूत्र
• 100 ग्राम तिल
• 100 ग्राम मूंग
• 100 ग्राम उडद
• 100 ग्राम लोबिया
• 100 ग्राम मोठ
• 100 ग्राम चने
• 200 लीटर पानी
बनाने की विधि
शाम को एक कटोरी में तिल लेकर भिगो दें। अगले दिन सुबह मूंग, उडद, लोबिया, मोंठ, मसूर, चने और गेहू इन सभी को 100-100 ग्राम दाने को मिलाकर पानी में भिगो दें। तीसरे दिन सुबह सभी चीज़ें पानी में निकालकर गीले कपडे बाँधकर अंकुरण के लिए टांग दें। उस पानी को फेंके मत जिसे में दाने भिगोये थे। जब 1 सेंटीमीटर के अंकुर निकल आये तो इस सामग्री को सिलबट्टे पर चटनी बना लें। 200 लीटर पानी में यह चटनी, दानों का पानी और 10 लीटर गोमूत्र अच्छे से मिला लें। कपड़े से छानकर उसी दिन फसल पर स्प्रे करें।
भंडारण और सावधानियां
इस काढ़े को भंडारित न करें। काढ़ा बनाकर तुरंत उपयोग कर लें।
उपयोग
फसल के दाने दुग्ध अवस्था के समय, फल फली के बाल्यावस्था के समय अथवा हरी सब्जी काटने के 5 दिन पहले या फूलों में कली अवस्था पर छिड़काव करें।