निमोनिया से भाव है फेफड़ों की सोजिश। इस बीमारी का हमला अक्सर 6 महीने की उम्र के पशुओं पर ज्यादा होता है। बड़े उम्र के पशुओं में यह उत्थू आने के कारण या गल घोटू रोग आदि के कारण हो सकती है। इस बीमारी के शुरू होने का मुख्य कारण पशु की बीमारियों से लड़ने की शक्ति का कम हो जाना है।
निमोनिया के मुख्य कारण
अत्याधिक गर्मी या सर्दी
खुराकी तत्वों की कमी (धातु और विटामिन)
पशुओं को गीले और अंधेरे कमरे में बांधकर रखना
लंबे सफर में खुराक और पानी ना देना
निमोनिया के मुख्य लक्षण
हल्के से तेज बुखार और पशु सुस्त रहता है।
सांस की प्रक्रिया तेज और नाक में से रेशा गिरता है।
हल्की खांसी
पशु पठ्ठे खाने छोड़ देता है और काफी सुस्त रहता है।
यदि बीमारी गंभीर रूप धारण कर जाए तो पशु मुंह खोलकर सांस लेता है।
निमोनिया के इलाज और सावधानियां
रोगी पशु को अलग और आरामदायक जगह पर रखें।
ज्यादा गर्मी या सर्दी से बचाएं।
पशु का इलाज जल्दी से जल्दी शुरू करें।
कटड़े या बछड़े की खुराक में विटामिन और धातुएं डालें।
7—10 दिनों तक एंटीबायोटिक ही इलाज के लिए सार्थक है।
नोट — इलाज कम से कम 7—10 दिनों के लिए जारी रखें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें।