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सपिंदर सिंह

(मछली पालन, सूअर पालन)

सपिंदर सिंह ने सुअर पालन के साथ मछली पालन को समेकित कर पंजाब में कृषि संबंधित गतिविधियो को अगले स्तर तक पहुंचाया

भारत के अधिकांश भागों में, किसान अपनी घरेलु आर्थिकता को समर्थन देने के लिए समेकित कृषि संबंधित गतिविधियों को अपना रहे हैं और अपनाये भी क्यों ना । समेकित कृषि प्रणाली ना सिर्फ ग्रामीण समुदाय को उचित आजीविका प्रदान करती है बल्कि एक व्यवसाय में किसी कारणवश हानि होने पर अतिरिक्त व्यवसाय के रूप में समर्थन प्रदान करती है। इस उदाहरण के साथ संगरूर के प्रगतिशील किसान सपिंदर सिंह ने सुअर पालन के साथ मछली पालन को अपनाकर पंजाब के अन्य किसानों के लिए उदाहरण स्थापित किया है।

यह कहानी एक रिटायर्ड व्यक्ति— सपिंदर सिंह की है, जिन्होंने अपने 18 वर्ष मिल्टिरी इंजीनियरिंग सर्विस को समर्पित करने के बाद वापिस पंजाब आने का फैसला किया और अपना बाकी का जीवन खेतीबाड़ी को समर्पित कर दिया। कृषि पृष्ठभूमि से आने के कारण, सपिंदर सिंह के लिए दोबारा खेतीबाड़ी शुरू करना कुछ मुश्किल नहीं था। लेकिन मुख्य फसलें गेहू और धान उगाना उनके लिए लाभदायक उद्यम नहीं था। जिसका एक कारण उनका संबंधित कृषि गतिविधियों की तरफ प्रभावित होना था।

इस समय के दौरान, एक बार सपिंदर सिंह कुछ व्यक्तिगत कामों के लिए संगरूर शहर गए और वहां पर उन्होंने एक मछली बीज फार्म में मछली बीज उत्पादन की प्रक्रिया के बारे में पता चला। मछली फार्म में श्रमिकों से बात करने पर उन्हें पता चला कि महीने में एक बार उन अभिलाषी किसानों की ट्रेनिंग के लिए 5 दिनों का ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया जाता है। जो कि मछली पालन के व्यवसाय को अपने करियर के रूप में अपनाना चाहते हैं।

“और यह तब हुआ जब मैंने मछली पालन करने का फैसला किया। मेरी मां और मैंने अक्तूबर 2013 में पांच दिनों की ट्रेनिंग ली। वहां से मुझे पता चला कि मछली का बच्चा केवल मार्च से अगस्त तक ही प्रदान किया जाता है।”

ट्रेनिंग के बाद एक भी पल बिना गंवाए सपिंदर सिंह ने अपना स्वंय का प्री कल्चर टैंक (नर्सरी टैंक) तैयार करने और उसमें मछली के पूंग संग्रहित करने का फैसला किया। टैंक की तैयारी के लिए उन्होंने मिट्टी और पानी की जांच के तहत अपनी ज़मीन की जांच के बाद अपनी ज़मीन पर एक तालाब खोदा। मछली पालन विभाग ने उन्हें लोन एप्लेकेशन में भी मदद की और सपिंदर सिंह के लिए लोन की किश्तों की प्रक्रिया बहुत ही आसान थीं।

“मछली पालन के लिए मैंने 4.50 लाख रूपये के लोन के लिए आवेदन किया और कुछ समय बाद 1.50 लाख रूपये पहली लोन की किश्त प्राप्त हुई। समय पर लोन भी चुकाया गया था, जिसके कारण मुझे अपना मछली फार्म स्थापित करने के दौरान किसी भी प्रकार की वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।”

मछली पालन के अधिकारियों ने सपिंदर सिंह को सही समय पर जानकारी देने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने श्री सिंह को एकीकृत खेती का सुझाव दिया ओर फिर सपिंदर सिंह ने सुअर पालन का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। ट्रेनिंग लेने के बाद सपिंदर सिंह ने पिग्गरी शैड स्थापित करने के लिए 4.90 लाख रूपये के लोन के लिए आवेदन किया।

वर्तमान में, सपिंदर सिंह 200 सुअरों के साथ 3.25 एकड़ में मछली पालन कर रहे हैं। सुअर पालन के साथ मछली पालन की समेकित कृषि प्रणाली से उन्हें 8 लाख का शुद्ध लाभ मिलता है। मछली पालन और पशु पालन दोनों विभागों ने 1.95 लाख और 1.50 लाख की सब्सिडी दी। दोनों विभागों और जिला प्रशासन दोनों ने उन्हें अपना उद्यम बढ़ाने में पूरी सहयोग और सभी अवसर उन्हें प्रदान किए।

वर्तमान में, सपिंदर सिंह अपने फार्म को सफलतापूर्वक चला रहे हैं और जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वे किसानों को उचित कृषि ज्ञान हासिल करने के लिए द्वारा आयोजित के वी के ट्रेनिंग कैंप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हैं।

अपनी तीव्र जिज्ञासा के साथ वे हमेशा एक कदम आगे रहना चाहते हैं सपिंदर सिंह ये भी जानते है। कि उन्नति के लिए उनका अगला कदम क्या होना चाहिए और यही कारण है कि वे सुअर — मछली युनिट के प्रोसेसिंग प्लांट में निवेश करने की योजना बना रहे हैं।

सपिंदर सिंह एक आधुनिक प्रगतिशील किसान हैं जिन्होंने आधुनिक पद्धति के अनुसार अपने खेती करने के तरीकों को बदला और प्रत्येक अवसर का लाभ उठाया। अन्य किसान यदि कृषि क्षेत्र में प्रगति करना चाहते हैं तो उन्हें सपिंदर सिंह के दृष्टिकोण को समझना होगा।

संदेश

यदि किसान अच्छी कमाई करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से घरेलु स्थिति में सुधार करना चाहते हैं तो उन्हें फसल की खेती के साथ कृषि संबंधी व्यवसायों को अपनाना चाहिए।