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नारायण लाल धाकड़

(प्राकृतिक खेती, नई खोज)

जानिये कैसे यह 19 वर्षीय युवा किसानों को स्थायी खेती के तरीकों को सिखाने के लिए यूट्यूब और फेसबुक का उपयोग कर रहा है

युवा किसान कृषि का भविष्य हैं और इस 19 वर्षीय लड़के ने खेती की ओर अपने जुनून को दिखाकर सही साबित किया है। नारायण लाल धाकड़ राजाओं, विरासत, पर्यटन, और समृद्ध संस्कृति की भूमि— राजस्थान के एक नौजवान हैं और उनका व्यक्तित्व भी उनकी मातृभूमि की तरह ही विशिष्ट है।

आजकल, हम कई उदाहरण देख रहे हैं जहां भारत के शिक्षित लोग अपने कार्यस्थल के रूप में कृषि का चयन कर रहे हैं और एक स्वतंत्र कृषि उद्यमी के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं, वैसे ही नारायण लाल धाकड़ हैं। बुनियादी सुविधाओं और पर्यटन संसाधनों की कमी के बावजूद, इस युवा ने कृषि समाज की सहायता के लिए ज्ञान का प्रसार करने के लिए युट्यूब और फेसबुक को माध्यम चुना। वर्तमान में उनके 60000 यूट्यूब सबस्क्राइबर और 30000 फेसबुक फोलोअर है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस लड़के के पास वीडियो एडिट करने के लिए कोई लैपटॉप, कंप्यूटर सिस्टम और किसी प्रकार का वीडियो एडिटिंग उपकरण नहीं है। अपने स्मार्टफोन की मदद से वे कृषि की सूचनात्मक वीडियो बनाते हैं।

“मेरे जन्म से कुछ दिन पहले ही मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी और यह मेरे परिवार के लिए एक बहुत ही विकट स्थिति थी। मेरे परिवार को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन फिर भी मेरी मां ने खेती और मजदूरी दोनों काम करके हमें अच्छे से बड़ा किया। पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए, मैनें बहुत कम उम्र में खेती शुरू की और इसे बहुत जल्दी सीख लिया” — नारायण

गुज़ारे योग्य स्थिति में रहकर नारायण ने महसूस किया कि दैनिक आम कीट और खेत की समस्याओं से निपटने के लिए संसाधनों का आसान नुस्खों से प्रयोग करना सबसे अच्छी बात हैं। नारायण ने यह भी स्वीकार किया कि खेती के खर्च का बड़ा हिस्सा सिर्फ खादों और कीटनाशकों के उपयोग के कारण है और यही कारण है कि किसानों पर कर्ज़े का एक बड़ा पहाड़ बनाता है।

“जब बात जैविक खेती को अपनाने की आती है, तो हर किसान सफलतापूर्वक ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि इसमें उत्पादकता कम होती है और दूरदराज के स्थानों पर जैविक स्प्रे और उत्पाद आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।” — नारायण

अपने क्षेत्र की समस्या को समझते हुए, नारायण ने नीलगाय, कीट और फसल की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए कई आसान तकनीकों का आविष्कार किया। नारायण द्वारा विकसित सभी तकनीकें सफल रहीं और वे इतनी सस्ती है कि कोई भी किसान इन्हें आसानी से अपना सकता है और हर तकनीक को उपलब्ध करवाने के लिए वे अपने फोन में वीडियो बनाते हैं इसमें सब कुछ समझाते हैं और इसे यूट्यूब और फेसबुक पर शेयर करते हैं।अपने फोन द्वारा वीडियो बनाने में आई कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद उन्होंने किसानों की मदद करने के अपने विचार को कभी नहीं छोड़ा। नारायण अपने क्षेत्र के कई किसानों तक पहुंचते हैं और कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि वैज्ञानिकों तक पहुंचकर उनकी समस्या हल कर देते हैं।

नारायण लाल धाकड़ ने 19 वर्ष की उम्र में अपनी सफलता की कहानी लिखी। सतत कृषि तकनीकों के प्रति सामंज्सयपूर्ण तरीके से काम करने के अपने जुनून और दृढ़ संकल्प को देखते हुए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने उन्हें 2018 में कृषि पुरस्कार के लिए नामांकित किया है।

आज, नारायण लाल धाकड़ भारत में उभरती हुई आवाज़ बन गए हैं जिसमें किसानों की खराब परिस्थितियों को बदलने की क्षमता है।


संदेश
“किसानों को जैविक खेती को अपनाना चाहिए क्योंकि उनके खेत में रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है बल्कि उनके अपने लोगों को भी नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा, जैविक खेती करने वाले किसान कीटनाशकों और नदीननाशकों पर बिना खर्च किए स्वस्थ उपज ले सकते हैं।”